चुनावी मुद्दा : यहां कागजों में बन रही कृत्रिम झील, धरातल पर कुछ नहीं

Sunday, Apr 14, 2019 - 10:50 PM (IST)

बिलासपुर: बिलासपुर में पिछले करीब 20 वर्षों से कागजों में बन रही कृत्रिम झील अभी तक नहीं बन पाई है। इस झील को बनाने की बातें अक्सर चुनावों के दौरान होती हैं लेकिन उसके बाद कृत्रिम झील बनाने की बातें कागजों में दफन हो जाती हैं। बिलासपुर में सबसे पहले कृत्रिम झील बनाने की बात वर्ष 1999 में शुरू हुई थी और उस समय लुहणू क्रिकेट मैदान के साथ पिछली तरफ बने नाले पर इसे बनाने की बातें हुईं लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। समय-समय पर यहां पर कृत्रिम झील बनाने की बातें व वायदे विभिन्न नेताओं द्वारा किए जाते रहे हैं लेकिन यह झील नहीं बन पाई है। इस झील के निर्माण को लेकर सवा करोड़ रुपए मंजूर होने के दावे भी नेताओं द्वारा किए जाते रहे हैं लेकिन ये सब हवा-हवाई बातें ही अभी तक साबित हुई हैं। चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर स्थित बिलासपुर से होकर टूरिस्ट सीधे मनाली चले जाते हैं।

टूरिस्टों को मिल सकती थी बोटिंग सुविधा

बिलासपुर में कोई दर्शनीय स्थल न होने के कारण टूरिस्ट यहां रुकना पसंद नहीं करते। भाखड़ा बांध के कारण अस्तित्व में आई गोबिंदसागर झील में भी गर्मियों के दिनों में पानी नहीं रहता और गर्मियों में ही टूरिस्ट घूमने के लिए मनाली आदि जाते हैं। गोबिंदसागर झील में अक्सर हर वर्ष 20 मार्च से लेकर जून तक पानी नहीं रहता है जिस कारण टूरिस्टों को यहां पर बोटिंग आदि की सुविधा नहीं मिल पाती। यदि यहां कृत्रिम झील का निर्माण हो जाता तो टूरिस्टों को बोटिंग आदि की सुविधा मिल जानी थी। इससे जहां बिलासपुर के लोगों को रोजगार के अवसर मिलने थे, वहीं व्यापारियों को भी आर्थिक लाभ होना था। अब चयनित स्थान की जगह गोबिंदसागर झील के साथ लगती अली खड्ड पर कृत्रिम झील बनाने की बातें हो रही हैं।

अली खड्ड के मुहाने पर बनाया जाना है बड़ा बांध

स्थानीय विधायक ने इसे अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है और इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार इसे प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत बनाया जाना प्रस्तावित है। योजना के मुताबिक अली खड्ड के मुहाने पर एक बड़ा बांध बनाया जाएगा, जिसमें दली की तरफ से आ रहा पानी एकत्रित किया जाएगा।

इन पंचायतों को मिलनी थी सिंचाई की सुविधा

इस झील के बनने के बाद साथ लगती चांदपुर, बल्ह-बलवाणा, बामटा, कंदरौर, बागी-बिनौला, कुड्डी व देलग आदि पंचायतों के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यदि यह योजना सिरे चढ़ती है तो इन पंचायतों के किसानों को सिंचाई सुविधा मिलने के बाद इनकी आर्थिकी सुदृढ़ होगी, वहीं टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और टूरिस्टों को 12 महीने बोटिंग आदि की सुविधा मिलेगी जिससे रोजगार के नए साधन भी सृजित होंगे।

क्या कहता है बुद्धिजीवी वर्ग

साहित्यकार कुलदीप चंदेल ने बताया कि लगभग 2 दशक से भी अधिक समय से बिलासपुर में बनने वाली कृत्रिम झीलों की चर्चा विभिन्न राजनीतिक मंचों से सुनने को मिल रही है लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो सका है। कहलूर स्टेडियम के साथ अली खड्ड के मुहाने पर कृत्रिम झील का निर्माण प्रस्तावित था। कहा गया था कि इसमें सारा साल पानी रहेगा जिससे पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकेगा, वहीं कैफे का निर्माण भी किया जाना था लेकिन यह सब अभी तक पूरा नहीं हो सका। इस कृत्रिम झील के बनने से आसपास के लुप्त हुए प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज हो सकते थे लेकिन खेद की बात है कि यह सब नहीं हो सका है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है कृत्रिम झील

व्यापार मंडल बिलासपुर के महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता का कहना है कि लुहणू में अली खड्ड पर बनने वाली कृत्रिम झील बिलासपुर के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है। इससे पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकता है। इससे बेरोजगारों को रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार को चाहिए कि शीघ्र इस झील का निर्माण किया जाए।

झील का निर्माण संभव ही नहीं जरूरी भी

बास्केटबाल के सेवानिवृत्त कोच के.आर. गर्ग के मुताबिक कई वर्षों से इस झील के बारे में सुना जा रहा है लेकिन यथार्थ के धरातल पर कुछ नहीं हुआ है जबकि इस कृत्रिम झील के बनने से बिलासपुर में पर्यटन को पंख लग सकते हैं। सारा साल इस झील में नौकायन हो सकता है। चंडीगढ़ की सुखना झील की तर्ज पर इस झील का निर्माण संभव ही नहीं जरूरी भी हो गया है।

Vijay