देहरा में अभी तक 81 हैक्टेयर भूमि नहीं हुई CU के नाम

Wednesday, Jan 09, 2019 - 11:19 AM (IST)

 

धर्मशाला (जिनेश): हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण का रास्ता और लंबा खिंच सकता है। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय की दोनों जगहों पर एक साथ जल्द ही शिलान्यास करने की कई बार बातें कही गईं, लेकिन धरातल पर इसकी सच्चाई कुछ ओर ही है। जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धर्मशाला रैली के दौरान धर्मशाला के जदरांगल व देहरा में शिलान्यास करवाने की बात की जा रही थी जबकि इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र शुरू होने के दिनों हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने देहरा में केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन को सभी औपचारिकताएं पूरी होने की बात कही थी तथा मांग की थी कि जल्द से जल्द 70 प्रतिशत केंद्रीय विश्वविद्यालय का निर्माण देहरा में किया जाए, जबकि 30 प्रतिशत धर्मशाला में। 

सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा मंजूरी के दस्तावेज भी सार्वजनिक करने के बावजूद भी अभी तक देहरा की 81 हैक्टेयर भूमि केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम नहीं की गई है। जानकारी के अनुसार अभी तक मात्र 34 हैक्टेयर भूमि ही देहरा में केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम स्थानांतरित की गई है। लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी अभी तक केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम इस 81 हैक्टेयर भूमि को नहीं किया गया है। इससे साफ होता है कि अधिकारी वर्ग केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए सजग है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम पर देहरा की भूमि अभी तक न करने पर बताया जा रहा है कि वन मंत्रालय द्वारा उक्त मंजूरी एडीशनल चीफ सैक्रेटरी फोरैस्ट को भेज दी थी, जिसके बाद फोरैस्ट द्वारा उच्च शिक्षा निदेशक को भूमि स्थानांतरित की जानी थी, जिसके बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम पर यह भूमि स्थानांतरित होनी है।

शिक्षा मंत्री के सख्त आदेेश लेकिन औपचारिकताएं ही पूरी नहीं

प्रदेश शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण में तेजी लाने के लिए जहां पर 27 दिसम्बर तक सभी औपचारिकताएं पूरा करने के निर्देश धर्मशाला में एक बैठक के दौरान दिए थे तथा साफ हिदायतें शिक्षा मंत्री द्वारा दी गईं थी कि 27 दिसम्बर से पहले सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं। इसके बावजूद भी 27 दिसम्बर तक औपचारिकताएं पूरी नहीं हुईं। मंत्री बैठक में लंबे अरसे से रुके इस मामले पर अधिकारियों द्वारा सुस्त रवैया अपनाने पर भी कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भी धर्मशाला में जदरांगल स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय को चयनित की गई भूमि को सैंट्रल यूनिवर्सिटी के नाम न करने के बदले अधिकारियों ने सीधे ही एम.एच.आर.डी. (मानव संसाधन मंत्रालय) को कर दी। इस पर कई बार केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पत्र भी लिखे गए कि यदि 27 दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास करवाया जा रहा है तो जमीन को एम.एच.आर.डी. के नाम न करके केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्मशाला में आने और केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिलान्यास न करने का कारण यह भी रहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम जमीन न करने के बावजूद प्रशासन ने पहले एम.एच.आर.डी. के नाम जमीन कर दी।

9 साल की राजनीति ने छीने सी.यू. के 4 कालेज!

9 सालों से राजनीति की भेंट चढ़ रहे केंद्रीय विश्वविद्यालय में भविष्य में 4 महत्वूपर्ण कालेज नहीं खुलेंगे। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सालों से लटके हुए विवाद के चलते मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा यह कहा गया है। जानकारी के अनुसार हाल ही में दिल्ली में हुई विश्वविद्यालय की बैठक में यह बात रखी गई है। मानव संसाधन मंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण में हुई देरी के चलते मैडीकल, इंजीनियरिंग, डैंटल व आयुर्वेदिक कालेज केंद्रीय विश्वविद्यालय में नहीं खोले जाएंगे। मंत्रालय ने यह कदम प्रदेश सरकार के केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण के ढीले रवैये को लेकर लिया है। इसका सीधा असर प्रदेश के नौजवानों पर पड़ेगा, जहां पर प्रदेश के नौजवान उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूसरे प्रदेशों में प्राइवेट यूनिवर्सिटी व सरकारी यूनिवर्सिटी में शिक्षा ग्रहण करने के लिए लाखों रुपए खर्च देते हैं। 

केंद्रीय विश्वविद्यालय में इन विषयों के कालेज न खोलकर प्रदेश के बच्चों के भविष्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के समय भी कई क्यास लगाए जा रहे थे कि सालों से लटकी हिमाचल के केंद्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण न होने के चलते कहीं दूसरे राज्य में स्थानांतरित न किया जाए। जानकारी के अनुसार 2009 में देश भर में 17 केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की अधिसूचना जारी हुई थी जिसमें 16 केंद्रीय विश्वविद्यालयों को अपना स्थायी भवन मिल गया है तथा यहां पर सभी कालेज संचालित किए जा रहे हैं। मात्र हिमाचल के सी.यू. को अपना भवन तक अभी नसीब नहीं हो पाया है जिसके चलते मानव संसाधन मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। 

इन कालेज के बंद होने से प्रदेश के बच्चों को फिर से मैडीकल, इंजीनियरिंग आदि के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ सकता है। हालांकि सी.यू. प्रशासन इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कह रहा है कि विजन डॉक्यूमैंट बनाया जाता है जिसमें पूरे साल की गतिविधियां बताई जाती हैं जिसके चलते ही मंत्रालय द्वारा पैसा जारी किया जाता है जबकि सी.यू. की वैबसाइट में पहले से अपना विजन डॉक्यूमैंट बनाया गया है। उधर, इस बारे में सी.यू. के वी.सी. डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने बताया कि जब भी कहीं सी.यू. प्रस्तावित होता है उसके लिए बिजिन डॉक्यूमैंट बनाया जाता है कि हम सी.यू. में कौन-कौन से कालेज चाहते हैं। फिलहाल जमीन न होने के चलते इस बार यह कालेज हमने नहीं डाले हैं। भविष्य में इन पर विचार किया जा सकता है।

Ekta