यहां निजी स्वार्थ के लिए इंसान हरे-भरे पेड़ों का सीना छलनी कर रहा

Saturday, Feb 03, 2018 - 10:31 AM (IST)

शिमला : हमारी संस्कृति वन-प्रधान है। ऋग्वेद वन देवियों की अर्चना करता है। मनुस्मृति में भी वृक्ष-विच्छेदक को बड़ा पापी माना गया है। मत्स्यपुराण में कहा गया है जो आदमी वृक्षों को नष्ट करता है, उसे दंड दिया जाए। बावजूद इसके हम वनों को उजडऩे से नहीं बचा पा रहे है। निजी स्वार्थ के लिए इंसान हरे-भरे पेड़ों का सीना छलनी कर रहा है। कहीं पर देवदार के पेड़ों को दिवारों में चिना जा रहा है, कहीं पर वन माफिया बेलगाम होकर पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला है, तो कुछ स्थानों पर लोग कपड़े टांगने, तारें, विज्ञापन व लैक्स इत्यादि लटकाने के लिए पेड़ों में कीलें ठोक रहे हैं, जबकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता।

स्वार्थी लोग कानून की परवाह किए बगैर पेड़ों का सीना छलनी कर रहे
स्वार्थी लोग कानून की परवाह किए बगैर पेड़ों का सीना छलनी कर रहे हैं। हरे-भरे पेड़ों में कीलें ठोककरसाजिश के तहत इन पेड़ों की उम्र को कम किया जा रहा है।
रिज से सटे टका बैंच के समीप भी देवदार के एक पेड़ को डंगे में चिना गया। यही नहीं इस पेड़ में कीले लगाकर एक बॉक्स भी टांग रखा है। इससे देवदार का यह विशाल पेड़ जो सदी से हजारों लोगों को स्वच्छ हवा दे रहा था, अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। ऐसा नहीं कि दम तोड़ते इस पेड़ के दर्द किसी से छिपा हुआ है।

पहाड़ों की राजधानी में दम तोड़ता पेड़ 
टका बैंच के साथ ही डी.सी. शिमला का सरकारी आवास है। करीब 50 मीटर की दूरी पर 6 बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का निजी आवास हॉलीलॉज है। वीरभद्र के मुख्यमंत्री रहते हुए यहां से दर्जनों ऑफिसर आते-जाते रहे हैं। पर किसी को इस पेड़ के दर्द का आभास नहीं हुआ। यही नहीं वी.वी.आई.पी. क्षेत्र जाखू में रहने वाले दर्जनों अफसर भी इसी रास्ते से होते हुए अपने घरों और दफ्तरों को आते-जाते हैं। पहाड़ों की राजधानी में दम तोड़ता यह पेड़ तो एक अपवाद है।