हर्बल गार्डन से किसान-बागवान होंगे मालामाल, जानिए कैसे

Tuesday, Nov 28, 2017 - 12:15 PM (IST)

धर्मशाला/राजगढ़: आयुर्वेदिक विभाग किसानों व बागवानों को हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगा। केंद्र सरकार के नैशनल आयुष मिशन के तहत हर्बल गार्डन लगाकर किसान व बागवान मालामाल तो होंगे लेकिन साथ ही हर्बल गार्डन में पैदा किए जाने वाले पौधों की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। हर्बल गार्डन के लिए विभाग द्वारा पौधे भी उपलब्ध करवाए जाएंगे तथा गार्डन में पैदा होने वाली औषधीय गुणों से युक्त के विपणन की भी व्यवस्था की जाएगी। हर्बल गार्डन स्थापित करने से पहले वहां फसल को कौन-कौन से जानवर नुक्सान पहुंचा सकते हैं, इस पर कार्य किया जाएगा। 


हर्बल गार्डन की पैदावार को फार्मेसी भी दे सकते हैं
विभाग के अनुसार हर्बल गार्डन में होने वाली पैदावार को किसान व बागवान कहां बेचें, इसकी सबसे बड़ी दिक्कत रहती है। इसके लिए विभाग ने कृषि व बागवानी मंडियों में आयुर्वेद सेंटर शुरू करने की प्रपोजल तैयार की है, जिससे किसान व बागवान अपनी हर्बल गार्डन की पैदावार को वहां बेच सकें। इसके अतिरिक्त हर्बल गार्डन की पैदावार को फार्मेसी भी दे सकते हैं। वर्तमान में जिला में 23 के लगभग फार्मेसी हैं जोकि सरकारी क्षेत्र में चल रही हैं। जिला कांगड़ा आयुर्वेदिक अधिकारी डा. सुनीत पठानिया कहते हैं कि आयुर्वेदिक विभाग किसानों व बागवानों को हर्बल गार्डन स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहा है, ताकि केंद्र सरकार की योजना के तहत किसान व बागवान हर्बल गार्डन लगाकर अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर सकें। इतना ही नहीं हर्बल गार्डन लगाने पर सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी भी मिलेगी। 


इतनी सब्सिडी मिलेगी
तुलसी, सर्वगंधा, अश्वगंधा, सफेद मूसली सहित हरड़, बेहड़ा व आंवला आदि के पौधे वितरित किए जाएंगे। हर्बल गार्डन लगाने पर सरकार की ओर से किसानों को सबसिडी दी जाएगी। उधर, सिरमौर में विभाग द्वारा आतीश, कुटकी, कुठ, सुगंधबाला, सफेद मूसली, अश्वगंधा, सतावरी, सर्पगंधा व तुलसी की खेती के लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। किसान कलस्टर बनाकर औषधीय पौधों की खेती शुरू कर सकते हैं। विभाग द्वारा तुलसी की खेती पर करीब 13 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर, आतीश के लिए 1.20 लाख रुपए, कुटकी पर 1.23 लाख रुपए, कुठ पर 96 हजार रुपए, सुगंधबाला पर 43 हजार रुपए, सफेद मूसली पर 1.37 लाख रुपए, अश्वगंधा पर 1 लाख रुपए तथा सर्पगंधा पर 45 हजार रुपए अनुदान प्रदान किया जाता है।


ये दाम मिल रहे
औषधीय पौधों की फसल को किसान हिमाचल व उत्तराखंड के फार्मा उद्योगों के अतिरिक्त दिल्ली, जालंधर व अमृतसर की मंडियों में बेच सकते हैं। यहां पर तुलसी 30 से 100 रुपए प्रति किलोग्राम, आतीश 50 से 90, सफेद मुसली 500 से 700, कुठ 300 से 400, सतावरी 700 से 900, अश्वगंधा 400 से 600, संर्पगंधा 300 से 400, लैमनग्रास का तना 15 से 20, लैमनग्रास के पत्ते सूखे 30 से 40, एलोवीरा 10 से 14,  हरड़ 30 से 90, आंवला 15 से 30, पपीते के पत्ते 20 से 30 व पपीता 50 से 100 रुपए प्रतिकिलो बिकता है। 


क्या-क्या होना जरूरी
विभाग की मानें तो हर्बल गार्डन के लिए किसान के पास 2 हैक्टेयर भूमि होना आवश्यक है। यदि एक किसान के पास इतनी भूमि नहीं है तो 4 से 5 किसान एक साथ समूह बनाकर भी हर्बल गार्डन लगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त जंगली जानवरों, बेसहारा पशुओं व बंदरों से हर्बल गार्डन की खेती को बचाने के लिए किसानों को पहले फैंसिंग करवानी होगी। 


बिना बारिश के 30 प्रतिशत संतरे की फसल को नुक्सान
मौसम की बेरुखी ने बागवानों के माथे पर ङ्क्षचता की लकीरें बढ़ा दी हैं। ऐसे में अगर बारिश नहीं होती है तो नींबू प्रजाति के फलों का नुक्सान और ज्यादा हो सकता है। अभी तक जिला में संतरे की 30 प्रतिशत फसल को नुक्सान हो चुका है। जिला में संतरे की फसल ज्यादातर इंदौरा व नूरपुर सहित अन्य क्षेत्रों में होती है। वहीं बिना बारिश के नींबू प्रजाति की फसल में मौसमी व संतरा आदि आते हैं, जिस पर बिना बारिश का असर दिख रहा है। हालांकि बागवान अधिकारियों ने इंदौरा व नूरपुर का दौरा किया है तथा वहां पर बागवानों को सलाह भी दी है कि वहां इरिगेशन करें। विंटर सीजन में बागवानों को मिलने वाले फलदार पौधे पिछले साल की अपेक्षा थोड़े महंगे मिलेंगे। ए.डी.एच. उद्यान विभाग धर्मशाला एम.एस. राणा ने बताया कि इस बार शीतकालीन फलदार पौधे की कीमत में 5 से 10 रुपए प्रति पौधा वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि 15 दिसम्बर के बाद पौधे बागवानों को दिए जाएंगे।


किसान ऐसे करें आवेदन
इसके लिए किसानों व बागवानों को विभाग के पास आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ आवेदनकर्ता को संबंधित भूमि का पर्चा ततीमा भी लगाना होगा। हर्बल गार्डन की स्थापना एक किसान या कलस्टर आधार पर की जाएगी। 


बेसहारा पशुओं का भी डर नहीं
जिला सिरमौर आयुर्वैदिक अधिकारी के.आर. मोंगटा का कहना है कि सिरमौर जिला में औषधीय खेती की अपार संभावनाएं हैं। लोगों को औषधीय पौधों की खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है। तुलसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा व सफेद मूसली आदि फसलों के लिए जिला का मौसम अनुकूल है। इन पौधों को जंगली जानवर भी नुक्सान नहीं पहुंचाते हैं।