लावारिस लाशों के तारणहार बने हेमंत शर्मा, अब तक 14 का कर चुके हैं अंतिम संस्कार (Video)

Sunday, Jun 24, 2018 - 03:12 PM (IST)

नाहन (सतीश): कहते हैं जिनका कोई नहीं होता उनकी सहायता के लिए भी ईश्वर किसी न किसी को नियुक्त करता है। कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है पांवटा साहिब में। आज के इस दौर में जहां लोग अपनों का अंतिम संस्कर करने से भी कतराते है वहीं हेमंत शर्मा पिछले कई वर्षों से लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का कार्य कर रहे हैं। इन्होंने लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर समाज में एक अलग ही उदहारण पेश किया है, जिससे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिल रही है। हेमन्त शर्मा पिछले कई वर्षों से यह पुनीत कार्य कर रहे हैं। वह अब तक 14 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं और इसका सारा खर्च हेमंत अपनी जेब से चुकाते हैं।


श्मशान में आया था यह ख्याल
कुछ अरसा पहले हेमंत अकेले ही इस काम को अंजाम देते थे लेकिन कुछ अन्य लोग भी हेमंत से प्रेरणा लेकर अब उनके साथ जुड़ गए हैं और लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार में हेमंत की सहायता करते हैं। हेमंत के भीतर ऐसी सोच कहां से आई यह जनना भी बेहद रोचक है। हेमंत ने बताया कि श्मशान में किसी लावारिस के अंतिम संस्कार के दौरान उनके मन में सवाल आया कि जिनका कोई अपना नहीं होता उनका अंतिम संस्कार कौन करता होगा। सवाल अंतिम संस्कार का नहीं बल्कि विधिवत अंतिम संस्कार का था तो हेमंत ने फैसला लिया कि अब यहां मिलने वाली हर लावारिस लाश का अंतिम संस्कार वह खुद करेंगे। सजीव समाज में तो जनसेवा कई लोग करते हैं लेकिन नि:स्वार्थ भावना से लावारिस लाशों के काम शायद ही कोई आता हो।


किसी मसीहा से कम नहीं हेमंत शर्मा
एस.डी.एम. पांवटा एल.आर. वर्मा ने बताया कि पांवटा साहिब में हेमंत शर्मा लावारिस लाशों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। जिन सड़ी-गली या कंकाल मात्र लाशों के पास भी कोई नहीं जाना चाहता हेमंत उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार करते हैं। हेमंत ऐसे शवों को न सिर्फ मुखाग्नि देते हैं बल्कि विधि-विधान से उनकी अस्थियां भी यमुना में प्रवाहित करते हैं। इस पुनीत कार्य को पुलिस और प्रशासनिक अनुमति के बाद अंजाम दिया जाता है।

Vijay