सुरेन्द्र कुमार पर टूटा दुखों का पहाड़, दिहाड़ी से परिवार पाले या दिव्यांग बेटियों का करवाए इलाज

punjabkesari.in Tuesday, Oct 12, 2021 - 11:44 PM (IST)

ऊना (मनोहर लाल): 2 बेटियां दिव्यांग हैं। हर जगह इलाज करवाकर थक चुके हैं। जो जमा-पूंजी थी वह बेटियों के इलाज पर खर्च हो चुकी है। अब गंभीर समस्या यह है कि दिहाड़ी लगाकर परिवार पाले या बेटियों का इलाज करवाएं। यह व्यथा है जिले के तहत विकास खंड बंगाणा की ग्राम पंचायत मोमन्यार के गांव समूरखुर्द के सुरेन्द्र कुमार की। उनकी 2 बेटियां दीया (6) व भावना (2) जन्म से दिव्यांग हैं। सुरेन्द्र कुमार पीजीआई में भी अपनी बेटियों का इलाज करवा चुके हैं। पहले वह हर सप्ताह पीजीआई बेटियों को लेकर जाते रहे लेकिन दिहाड़ी के अलावा आय का अन्य कोई साधन न होने के कारण वह अब कहीं भी इलाज करवाने के लिए नहीं जा पा रहे हैं।

मसीहा के इंतजार में परिवार

अब परिजन एक ऐसे मसीहा के इंतजार में हैं जो उनकी मदद करे ताकि वह अपनी बेटियों को इलाज के लिए लेकर जा सकें। सुरेन्द्र कुमार के पिता जगत राम के मुताबिक अब सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि बीपीएल श्रेणी से उनका नाम काट दिया गया है। पहले बीपीएल श्रेणी में नाम होने के कारण उन्हें सस्ता राशन मिल जाता था लेकिन अब बीपीएल से नाम कटने के बाद उनकी हालत और भी खराब हो गई है। उन्हें कई दशक पहले मकान के निर्माण के लिए एक बार राशि मिली थी लेकिन इसके बाद उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है।

न चल सकती हैं और न बोल सकती हैं

दीया व भावना की हालत यह है कि न तो वह खुद चल सकती हैं और न ही बोल सकती हैं। यह दोनों बेटियां बिस्तर पर ही हैं। उनका खाने-पीने से लेकर हर कार्य बिस्तर पर ही करना पड़ता है। इन बेटियों की देखभाल में उनकी माता ऊषा देवी का साथ उनकी दादी कमला देवी व दादा जगत राम करते हैं। इन बेटियों के पिता सुरेन्द्र कुमार दिहाड़ीदार हैं।

बेटियों का चाचा सोनू भी है दिव्यांग

दिव्यांग दीया व भावना का चाचा सोनू कुमार भी दिव्यांग है। वह खुद चल-फिर सकता है लेकिन उसे भी काफी दिक्कत है। ऐसे में सुरेन्द्र कुमार पर परिवार की सारी जिम्मेदारी है। सुरेन्द्र कुमार के माता-पिता पहले बाण बनाने का कार्य करते थे लेकिन अब वह यह कार्य भी नहीं कर पाते हैं।

बारिश में रसोई के अंदर आ जाता है पानी

इस परिवार के पास खाना बनाने के लिए एक कच्ची रसोई है जिसकी एक दीवार गिर गई थी। इस कच्चे मकान की आधी दीवार तो लगा दी गई लेकिन जब बारिश होती है तो बारिश का सारा पानी अंदर आ जाता है। ऐसे में बारिश के मौसम में उनके लिए खाना बनाना भी कठिन होता है। इस रसोई की हालत ऐसी है कि यह कभी भी गिर सकती है।

बेटियों का इलाज करवाना हुआ कठिन

दिव्यांग बेटियों के पिता सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि बेटियों का इलाज करवाना उनके लिए कठिन हो गया है। वह दिहाड़ी-मजदूरी करके परिवार का पेट पाल रहे हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह अपनी बेटियों को लेकर उनके इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में जा सकें। वह काफी परेशान हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले एक बेटी दिव्यांग थी लेकिन उसके बाद दूसरी बेटी हुई वह भी दिव्यांग है जबकि उनका एक बेटा ठीक हालत
में है। 

बीपीएल श्रेणी में रह चुका है परिवार

ग्राम पंचायत मोमन्यार की प्रधान अंजना कुमारी ने कहा कि इस परिवार की 2 बेटियां दिव्यांग हैं। ग्राम सभा की तरफ से फैसला आने के बाद इस परिवार का नाम बीपीएल से कटा है जबकि पहले यह परिवार बीपीएल श्रेणी में रह चुका है।

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Content Writer

Vijay

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