स्वास्थ्य विभाग ने कुल्लू अस्पताल से बदले 6 डॉक्टर, जानिए कौन कहां शिफ्ट

Friday, Nov 15, 2019 - 05:22 PM (IST)

कुल्लू (मनमिंदर): भले ही सरकार प्रदेश में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने की बड़ी-बड़ी दावे कर रही है। लेकिन सरकार के दावे तब फिसड्डी साबित हो रहे हैं, जब डॉक्टरों के लगातार तबादले करने का क्रम जारी है। जी हां, हम यहां पर बात कर रहे हैं प्रदेश के चार जिलों के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने वाले क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू की। जहां से सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने 6 डॉक्टरों के तबादले आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि 6 में से एक डॉक्टर यहां से रिलीव भी हो गया है, जबकि पांच और डॉक्टर जल्द रिलीव होने की सूचना है। 

सरकार ने ट्रांस्फर आर्डर विशेषज्ञ डॉक्टरों के कर दिए हैं, जिससे इस सर्द मौसम में जिला कुल्लू ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी के दो सराज और द्रंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली कई पंचायतों के लोगों के साथ-साथ जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति और पांगी, किलाड़ की जनता को बीमार होने पर परेशान होना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों के ट्रांस्फर आर्डर हुए काफी दिन हो गए हैं, लेकिन अभी छह में से पांच डॉक्टर यहीं सेवाएं दे रहे हैं, जबकि एक डाक्टर रिलीव हो गए हैं।

जानकारी के अनुसार सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू से छह डॉक्टरों में तीन के नेचरचौक, दो के टांडा मेडिकल कॉलेज और एक डॉक्टर के ट्रांस्फर आर्डर हमीरपुर के लिए से किए हैं, जिसमें दो शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर, दो एमडी, एक हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर और एक अन्य डॉक्टर के तबादला आदेश कर दिए हैं। बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में एक मात्र हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर का तबादला होने से ओपीडी में ताला लटक सकता है, जिससे हड्डी रोग से संबंधित मरीजों को उपचार करवाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

दो शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर और मेडिसीन विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला होने से यहां पर तैनात डाक्टरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बता दें कि क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में एक दिन में 800 के करीब मरीज उपचार करने के लिए आते हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मेडिसीन और बच्चे शामिल होते हैं। हर दिन अस्पताल में 200 के करीब बच्चों की ओपीडी रहती है। ऐसे में एक साथ दो विशेषज्ञ डाक्टरों के जाने से काफी मुश्किलें आएंगी और डॉक्टरों की भारी कमी हो सकती है। इन डॉक्टरों के अलावा यहां जो विशेषज्ञ डॉक्टर होंगे वे ओपीडी संभालेंगे या वार्ड में जाकर उपचाराधीन मरीजों की जांच करेंगे, उनके लिए किसी बोझ से कम नहीं होगा।

 

Ekta