सरकार की अनदेखी पर बिफरा स्वास्थ्य अनुबंधित समिति कर्मचारी महासंघ, बनाई यह रणनीति

Friday, Oct 06, 2017 - 01:45 AM (IST)

चम्बा: प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न समितियों में कार्यरत कर्मचारी कांग्रेस के खिलाफ मतदान करेंगे। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कर्मचारियों ने रणनीति बना ली है। प्रदेश सरकार द्वारा लगातार की गई अनदेखी के चलते कर्मचारियों को यह फैसला लेना पड़ा है। यह बात स्वास्थ्य अनुबंधित समिति कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महासचिव अशरफ खान, प्रैस सचिव राजकुमार महाजन और वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश कश्यप ने संयुक्त प्रैस बयान में कही। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री द्वारा इस वर्ग की मांगों को पूरा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था तथा कमेटी को इस बारे निर्णय लेने को कहा गया था लेकिन यह कमेटी भी कागजों तक ही सीमित रही। महासंघ का कहना है कि अन्य विभागों के कर्मियों को तो सरकार 3-3 साल बाद नियमित कर रही है जबकि स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न समितियों में कर्मचारी 15 से 20 वर्षों से अनुबंध पर सेवाएं दे रहे हैं लेकिन इस वर्ग की लगातार अनदेखी की जा रही है।

आज तक जारी नहीं हुई अधिसूचना
कर्मचारी महासंघ का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न समितियों में कार्यरत कर्मियों को कैबिनेट में निर्णय होने के बावजूद इस वर्ग को नियमित नहीं किया गया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने 16 फरवरी, 2016 को स्वास्थ्य विभाग की समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने का निर्णय लिया था। उसके बाद 28 मार्च, 2016 को इस बाबत अधिसूचना भी जारी की गई थी लेकिन अभी तक अधिसूचना को लागू नहीं किया गया है। इस अधिसूचना को लागू करवाने के लिए महासंघ का प्रतिनिधिमंडल सी.एम., स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और युकां प्रदेशाध्यक्ष से भी कई बार मिल चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसकी वजह से अनुबंध पर कार्यरत 1500 कर्मियों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। 

प्रदेश सरकार को दिलवाए हैं कई राष्ट्रीय अवार्ड
महासंघ का कहना है कि ये स्वास्थ्य कर्मी शैक्षणिक व तकनीकी तौर पर सक्षम हैं तथा इन्हीं के दम पर प्रदेश सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र में कई नैशनल अवार्ड मिल चुके हैं। महासंघ के प्रैस सचिव राजकुमार महाजन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित करने को लेकर 28 मार्च, 2016 को जारी अधिसूचना को लागू करवाने के लिए महासंघ ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से निराश होने के चलते महासंघ को यह कदम उठाना पड़ा है।