HC के आदेशों से उजागर हुई गड़बड़ियां: निशाना था नशा, निकला बहुत कुछ

Friday, Jun 22, 2018 - 02:55 PM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): अवैध कब्जों के रूप में पुराने पाप उजागर होने से कइयों में अफरा-तफरी का माहौल है। अवैध तरीके से अब तक कइयों ने खूब चांदी कूटी, लेकिन अब मामला उच्च न्यायालय के ध्यान में आने से कइयों के पांव तले जमीन खिसक गई है। हाईकोर्ट ने नशे का अड्डा बनी पार्वती घाटी में नशे पर शिकंजा कसने के मकसद से सिर्फ होटलों, गैस्ट हाऊस, होम स्टे, दुकानों व अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जांच के आदेश दिए थे। जैसे ही जांच शुरू हुई तो टीमें भी सिर पकड़ कर बैठ गईं। 


इन टीमों की सिरदर्द में जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ने के साथ-साथ इजाफा होता गया, जब कई होटल व गैस्ट हाऊस पूरे के पूरे वन भूमि, लोक निर्माण विभाग की भूमि या अन्य सरकारी भूमि पर पाए जाने लगे। पहले भी 60 होटलों व अन्य भवनों की जांच में 44 अवैध पाए गए थे। इनमें कई वन भूमि पर थे तो कइयों के पास कागजात ही नहीं थे। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 44 होटल सील कर दिए थे। अब हाईकोर्ट ने एफिडैविट के आधार पर 48 और होटलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे कइयों के होश फाख्ता हो गए हैं। 25 जून को होने वाली कार्रवाई ने कइयों की नींद उड़ा कर रख दी है।


निशाना था नशा, निकला बहुत कुछ
हाईकोर्ट ने हालांकि नशे के कारोबार पर प्रहार करने को कहा था और अवैध तरीके से चल रहे भवनों व होटलों को जांचने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट का कहना था कि अवैध तरीके से चल रहे होटलों में ही नशे का कारोबार पनप रहा है। जब जांच शुरू हुई तो अवैध होटलों, भवनों, गैस्ट हाऊसों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों व दुकानों की कतार लग गई।


कहीं मुश्किल तो कहीं बहुत ही बुरा हाल
हाईकोर्ट के आदेशों पर वे होटल व अन्य भवन पूरे के पूरे गिराने पड़ेंगे जो वन, लोक निर्माण विभाग या अन्य सरकारी भूमि पर पाए गए हैं। उन भवन मालिकों को कुछ राहत मिल सकती है, जिन भवनों का कुछ हिस्सा सरकारी भूमि पर पाया गया है। उस हिस्से को तोड़कर राहत पाई जा सकती है। हालांकि इससे भी आर्थिक क्षति झेलनी पड़ेगी। कई ऐसे हैं जो कागजात पूरे कर कार्रवाई से बच सकते हैं और उन होटलों को सील होने से बचाया जा सकता है। असली मुश्किल यह हो गई है कि आखिर अवैध को वैध कैसे दर्शाया जाए।

Ekta