जज्बा : दुकानों में नींबू-मिर्ची टांग इस बाप ने एक बेटी को बनाया डॉक्टर दूसरी को करवाई बी.एड.

Thursday, Jan 30, 2020 - 02:05 PM (IST)

मानपुरा: लुधियाना निवासी 48 वर्षीय राजा बाबू ने इस कहावत को सार्थक साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर आप में मेहनत का जज्बा है तो आप गरीब होते हुए भी अपने बच्चों को डाक्टर, इंजीनियर व अध्यापक बना सकते हैं। पंजाब केसरी से विशेष बातचीत के दौरान लुधियाना के राजा ने बताया कि घर में गरीबी व रोटी के लाले होने के चलते उसने 18 साल की उम्र में लोगों के व्यापार को नजर से बचाने के लिए व अपने परिवार का पेट भरने के लिए दुकानों में नींबू-मिर्ची टांगने का काम शुरू किया था। जिस दिन मैंने यह काम शुरू किया था उस दिन 20 दुकानों से इसकी शुरूआत की थी। आज मुझे यह काम करते हुए करीबन 30 साल हो चुके हैं। मैं एक दिन में करीबन 700 दुकानों पर नींबू व मिर्ची टांगता हूं।

लुधियाना से मैं बाइक पर शाम को 4 बजे निकलता हूं व 4 घंटे के अंदर हिमाचल में प्रवेश करता हूं। मेरा टारगेट दिन में 700 दुकानों पर नींबू टांगना होता है। एक दुकान से 10 रुपए लेता हूं व सभी दुकानदार खुश होकर 10 रुपए दे देते हैं। सोमवार को मैं हरियाणा के पिंजौर व इसके साथ का सारा क्षेत्र कवर करता हूं व मंगलवार को बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, भुड़ व मानपुरा समेत नालागढ़ तक का क्षेत्र कवर करता हूं। बुधवार को पंजाब के मुलांपुर, नवांनगर व हरियाणा के मढ़ांवाला के साथ लगते क्षेत्र को कवर करता हूं। वीरवार का दिन पंजैहरा, नवांग्राम, सोभनमाजरा, जोघों, शुक्रवार को पंजाब के भरतगढ़, बुंगा साहिब, कीरतपुर व आनंदपुर का क्षेत्र कवर करता हूं। शनिवार को अंबाला, बनूर, जीरकपुर व इसके साथ लगते क्षेत्र की दुकानों में नींबू-मिर्ची टांगता हूं।

राजा बाबू ने बताया कि मेरे परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर नींबू व र्मिचियों को धागे में पिरोने का काम शुरू करते हैं। 4-5 घंटे में नींबू-मिर्ची के 1500 सैट तैयार करते हैं। इसके बाद मैं इन्हें लेकर मार्कीट में निकलता हूं व रात को 11 बजे घर पहुंचता हूं। मैं सिर्फ 4 घंटे की नींद लेता हूं व फिर परिवार द्वारा बनाई नींबू-मिर्ची को टांगने के लिए निकल पड़ता हूं। दुकानों पर नींबू-मिर्ची टांगने का काम मैं अकेले करता हूं। मैंने अपने साथ कोई नौकर नहीं रखा हुआ है। चाहे आंधी, तुफान, ठंड या गर्मी मैंं सिवा रविवार के कोई छुट्टी नहीं करता हूं। आज मुझे खुशी होती है जब मैं यह सोचता हूं कि मेरी मेहनत का भगवान ने मुझे फल दिया है। मेरा अपना घर है व मेरी एक बेटी डाक्टर है जोकि लुधियाना के अपोलो अस्पताल में कार्यरत है तो दूसरी बेटी बी.एड. कर चुकी है व अध्यापक बनना चाहती है। मेरा बेटा इंजीनियर बनना चाहता है। मैं मेहनत करके उन्हें वो सारी सुविधाएं दे रहा हूं जो उनके लिए जरूरी हैं।

kirti