लाहौल की पट्टन घाटी में हालड़ा उत्सव की धूम, मशाल जलाकर भगाईं बुरी आत्माएं

Thursday, Jan 28, 2021 - 10:22 PM (IST)

मनाली (ब्यूरो): लाहौल की पट्टन घाटी में गोशाल से तिंदी तक वीरवार को देवी-देवताओं को समर्पित हालड़ा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। बर्फ से लकदक पूरी घाटी मशालों की रोशनी से जगमगा उठी और लोगों ने पारंपरिक परिधानों के साथ इस रस्म को निभाया। अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा की और बाद में ग्रामीणों ने मशालों को गांव के निर्धारित स्थान पर एकत्रित कर अलाव जलाया और बुरी आत्माओं को भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजन व पिंड अर्पित कर भगाया। पट्टन घाटी में हालड़ा जिसे खोगल के नाम से जाना जाता है, पर्व की तिथि निर्धारित करने के लिए चंद्र्रमा के घटने-बढऩे के पक्ष को तरजीह दी जाती है।

बरगुल स्थानीय निवासी संजय कटोच व अनिल ने बताया कि तोद, गाहर और तिनन घाटी में लामाओं की ओर से ग्रंथों के अनुसार हालड़ा और लोसर मनाने की तिथि तय की जाती है। कोकसर पंचायत के अंतर्गत तेङ्क्षलग से सरखंग और सिस्सू पंचायत के अंतर्गत छोकोर से रोपसंग तक 24 जनवरी को हालड़ा महोत्सव शुरू हुआ, वहीं तोद घाटी में 25 जनवरी को नए वर्ष का त्यौहार लोसर और फैस्टीवल टू फैस्टीवल स्नो फैस्टीवल के साथ शुरू हुआ। गाहर वैली में गणतंत्र दिवस पर हालड़ा मनाया गया। लाहौल की पट्टन घाटी में हालड़ा उत्सव हर वर्ष सॢदयों के दौरान चंद्रमास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

मान्यता है कि घाटी में सर्दियों के दौरान देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं, ऐसे में राक्षसों तथा आसुरी शक्तियों का बोलबाला अधिक रहता है। इन्हीं आसुरी शक्तियों और बुरी शक्तियों से निजात पाने के लिए मशाल उत्सव का आयोजन किया जाता है। छङ्क्षलग निवासी दोरजे लार्जे ने बताया कि सर्वप्रथम सद हालड़ा निकाला जाता है, जिसमें बच्चों को भाग लेने की मनाही होती है। इसमें लोग कई प्रकार के पकवान बनाते हैं। हालड़ा उत्सव के ठीक 15 दिन बाद अमावस्या के दिन से घाटी के सभी गांवों में फागली उत्सव का दौर आरंभ हो जाता है। इस मौके पर पूर्व विधायक रवि ठाकुर, कांग्रेस अध्यक्ष ग्यालछन ठाकुर और जिप अध्यक्ष रमेश रुआलबा ने लोगों को बधाई दी।

Vijay