करमापा के बाद अब उनके गुरु ने भी मांगी विदेश जाने की अनुमति

Wednesday, Jul 17, 2019 - 10:44 AM (IST)

पालमपुर (मुनीष दीक्षित): तिब्बती सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा के बाद महत्वपूर्ण माने जाने वाले धर्मगुरु त्रिनले दोरजे करमापा के विदेश जाने के बाद अब उनके गुरु ताई सितु रिंपोछे ने भी विदेश जाने की इच्छा जताई है लेकिन भारत सरकार ने फिलहाल उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी है। इसी साल फरवरी माह में ताई सितु रिंपोछे ने विदेश मंत्रालय से यूरोप के कुछ देशों में जाने के लिए अनुमति मांगी थी लेकिन विदेश मंत्रालय ने अनुमति देने से इंकार कर दिया था। सूत्रों के अनुसार अब फिर से ताई सितु रिंपोछे ने मंत्रालय के समक्ष आवेदन किया है। इसमें स्वास्थ्य से जुड़े कुछ कारणों सहित कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का हवाला दिया गया है।   

बताया जा रहा है कि करमापा पहले ही यूरोप में हैं, उनके भारत आने पर संशय बना हुआ है। ऐसे में अब उनके गुरु के विदेश जाने की अनुमति को लेकर विदेश मंत्रालय कई कारणों से इस अनुमति को देने के पक्ष में नहीं है। उल्लेखनीय है कि ताई सितु रिंपोछे और उनके शिष्य करमापा लामा शुरू से ही भारत की नजरों में विवादित रहे हैं। वर्ष 1999 के बाद ताई सितु रिंपोछे के विदेश जाने पर मनाही है। उन्हें 2016 में विदेश जाने की अनुमति मिली थी। उन्हें भूटान ने बाकायदा डिप्लोमैसी पासपोर्ट भी दिया है। 

करमापा अब भी विदेश में

तिब्बती सर्वोच्च धर्मगुरु दलाईलामा के बाद महत्वपूर्ण माने जाने वाले धर्मगुरु त्रिनले दोरजे करमापा इस समय अमेरिका में हैं। भारत में हर समय खुफिया एजैंसियों और हिमाचल प्रदेश पुलिस के दायरे रहते हैं। तिब्बती धर्मगुरु को कहीं जाने यहां तक कि अपने गुरु ताई सितु रिपोंछे से मिलने के लिए भी अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन वो अमेरिका में कहीं भी जा सकते हैं। करमापा ने अमेरिका जाने के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। वह मई 2017 को धर्मशाला से तीन माह के लिए अमेरिका गए थे। उसके बाद से करमापा वापस भारत नहीं आए हैं। त्रिनले दोरजे करमापा धर्मशाला के समीप सिद्धबाड़ी में ग्यूतो मठ में रहते हैं और काग्यू संप्रदाय के प्रमुख हैं।  

16वें करमापा का शिकागो में पांच नवम्बर, 1981 को देहांत हो गया था। इसके बाद 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे सामने आए। उस समय करमापा जिस ढंग से भारत पहुंचे थे तो संभावना जताई गई थी कि कहीं इनके माध्यम से काग्यू पंथ के करमापा को स्थापित करने के लिए चीन सरकार की कोई रणनीति तो काम नहीं कर रही है। 17वें करमापा का नाम भारत में 2000 में सुॢखयों में आया था। उस समय चीन की सुरक्षा एजैंसियों को चकमा देते हुए करमापा तिब्बत के त्सुर्फू मठ से बच निकले थे और पांच जनवरी, 2000 को धर्मशाला पहुंचे थे। भारत आने के बाद करमापा भारतीय सुरक्षा एजैंसियों की कड़ी निगरानी में धर्मशाला के पास सिद्धबाड़ी स्थित ग्यूतो तांत्रिक मठ में रह रहे हैं। चीनी जासूस का संदेह होने के शक के चलते वर्ष 2009 तक उन पर विदेश जाने पर प्रतिबंध था। इसके बाद 2011 में करमापा मठ से करोड़ों की चीनी करंसी युआन और विदेशी नोट बरामद होने पर वह फिर सुॢखयों में आए थे। 

Ekta