गुड़िया केस: पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर CM का पहला बयान

Friday, Sep 01, 2017 - 02:56 PM (IST)

शिमला (राजीव): गुड़िया मामले में पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पहला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गुड़िया मामला काफी दर्दनाक है जो इसमें दोषी होगा उसे कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ने खुद ये मामला सीबीआई को सौंपा था। अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि सीबीआई इस मामले को जल्द सुलझा लेगी और दोषियों को सजा मिलेगी। प्रदेश एसआईटी के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के गिरफ्तार होने पर उन्होंने कहा कि पुलिस को पूछताछ का पूरा अधिकार है लेकिन पूछताछ के दौरान शालीनता के साथ काम लेना चाहिए। 


पुलिस अधिकारियों के साथ कोई हमदर्दी नहीं 
उन्होंने कहा कि इस मामले में में आरोपी सूरज की हत्या में पकड़े गए पुलिस अधिकारियों के साथ उन्हें कोई हमदर्दी नहीं है। वीरभद्र ने भाजपा और माकपा पर गुड़िया केस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है और इसको मुद्दा बनाकर राजनीति की जा रही है। सीएम ने कहा कि प्रदर्शन करना किसी हद तक ठीक होता है लेकिन इसे मुद्दा बनाना है और इससे लगता है ये कितने खोखले हैं। 


डीएनए टेस्ट के लिए आरोपियों के लिए गए थे सैंपल 
गुड़िया मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों के डीएनए सैंपल फोरेंसिक सुबूतों से मिलते नहीं हैं। हालांकि इस मामले में पकड़े गए सभी आरोपियों को डीएनए सैंपल रिपोर्ट में ‘क्लीन चीट’ दी गई है। इससे मामला अब और उलझता हुआ नजर आ रहा है। पुलिस द्वारा बेगुनाहों को फंसाने के आरोप पुख्ता हो रहे हैं। डीएनए टेस्ट के लिए उधर, कोटखाई थाने में आरोपी सूरज की हत्या को लेकर सीबीआई ने पूर्व एसआईटी प्रमुख जैदी, डीएसपी मनोज समेत 8 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया था। डीएनए टेस्ट के लिए आरोपियों के सैल्स, खून, सीमन, चमड़ी, स्लायवा और बालों के सैंपल लिए गए थे, जिन्हें टेस्टिंग के लिए लैब भेजा गया था। लेकिन इन सैंपल्स की रिपोर्ट ‘नेगेटिव’ आई है। अब सीबीआई के शक के घेरे में हिमाचल की स्टेट फोरेंसिक लैब भी आ गई है। दरअसल पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए आरोपियों से गुड़िया के शव से मिला डीएनए मैच नहीं होने की बात सामने आई है। ऐसा दो ही सूरत में हो सकता है। एक, पुलिस ने जिन्हें पकड़ा उन्होंने गुड़िया से रेप और मर्डर नहीं किया, इसलिए उनके सैंपल मैच नहीं हुए। दूसरा, गुड़िया के शव से नमूने वैज्ञानिक तरीके से नहीं लिए गए। सबसे चौंकाने वाली बात ये कि गुड़िया की मौत के कोई आठ दिन बाद ये जांच के लिए नमूने लैब पहुंचे थे।