शिमला में हरे पेड़ों के कटान मामले में NGT का अहम फैसला

Sunday, Dec 04, 2016 - 11:34 AM (IST)

शिमला: नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिमला शहर में हरे पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। एन.जी.टी. ने यह प्रतिबंध प्रार्थी पूनम गहलोत की याचिका पर सुनवाई करने के पश्चात लगाया। ट्रिब्यूनल के इन आदेशों से नगर निगम क्षेत्र के तहत हाल ही में दी गई हरे पेड़ों को काटने की परमिशन पर रोक लग गई है।


एन.जी.टी. ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि ट्रिब्यूनल की इजाजत के बगैर शिमला नगर निगम परिक्षेत्र में किसी भी पेड़ को नहीं काटा जाए। यदि किसी पेड़ को काटना निहायत ही जरूरी हो जाए तो उसे काटने की परमिशन हेतु संबंधित विभाग ट्रिब्यूनल के समक्ष आवेदन कर सकता है। प्रार्थी का आरोप है कि शिमला शहर में नगर निगम की ट्री अथॉरिटी व वन विभाग ने बिना किसी ठोस आधार के सैंकड़ों की संख्या में हरे पेड़ों को काटने की इजाजत दे दी। प्रार्थी का कहना है कि जान व माल को खतरा बने पेड़ों की आड़ में नगर निगम व वन विभाग ने करीब 287 पेड़ काटने की परमिशन जारी कर दी। इन पेड़ों को काटने की परमिशन नियमों को ताक पर रखकर दे दी गई।


वर्ष 2014 में 202 पेड़ों को काटने की परमिशन भी बिना तार्किक आधार के दी गई थी जिसे हिमाचल हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए नए सिरे से खतरा बने पेड़ों को काटने की इजाजत हेतु पुनॢनरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। प्रार्थी का कहना है कि नए सिरे से दी गई परमिशन की खामियों का पता उसे तब चला जब 31 अगस्त से 2 सितम्बर के बीच हाईकोर्ट के पड़ोस में ही एक हरे-भरे पेड़ को 3 दिनों के भीतर काट दिया गया। प्रार्थी ने ऐसा ही एक मामला कमला नेहरू अस्पताल के समीप हो रहे निर्माण को देखने पर पाया कि मजदूर पेड़ के नीचे से मिट्टी खोद रहे थे और पेड़ की जड़ों को काट दिया गया था। 


16 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि हरे पेड़ों को सरकार सहित नगर निगम और कुछ चुनिंदा लोग अपना दुश्मन मानते हुए इन्हें जड़ से खत्म करने के प्रयास में लगे हुए हैं जबकि इन्हें इतनी सी बात समझ में नहीं आ रही है कि पेड़ हमारे दुश्मन नहीं बल्कि सबसे बड़े मित्र हैं। आज पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में इनका सबसे बड़ा योगदान है। इन्हें बचाने के लिए पर्यावरण की ङ्क्षचता करने वाले बुद्धिजीवियों को बार-बार अदालतों की शरण में जाना पड़ता है। ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार से 2सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब देने के आदेश देते हुए मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को निर्धारित की है।