मोदी की रैली पर छिड़ा महासंग्राम, अब कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

Saturday, Apr 22, 2017 - 09:04 AM (IST)

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित शिमला रैली से राजधानी का सियासी पारा भी चढ़ गया है। इस रैली के आयोजन स्थल पर महासंग्राम छिड़ गया है। वामपंथियों का तर्क है कि अगर यहां रैली हुई तो इससे अंग्रेजों के जमाने के बने 107 वर्ष पुराने अंडरग्राऊंड वाटर स्टोरेज टंैक को बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। अब सत्ताधारी दल कांग्रेस ने भी इस पर सवाल उठाने आरंभ कर दिए हैं। कांग्रेस ने आयोजन करने से पूर्व विशेषज्ञों की राय लेने की सलाह दी है और कहा है कि अगर इस राय में मेयर और डिप्टी मेयर की आशंका सही पाई गई तो उस सूरत में रैली स्थल बदल दिया जाए। कहीं न कहीं अब कांग्रेस ने भी अपने सुर बदल दिए हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नगर निगम चुनाव सिर पर है। पानी का स्टोरेज टंैक भी निगम का ही है। 

कांग्रेस और माकपा को राजनीतिक जमीन खिसकने का खतरा
कांग्रेस और माकपा को लगता है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी ने रिज मैदान पर रैली की तो इससे निगम चुनाव में दोनों दलों की राजनीतिक जमीन खिसकने का खतरा पैदा होगा। इन चुनाव में भी मोदी की सियासी सुनामी चलने की संभावना पहले से अधिक बढ़ेगी। लगता है कि इसी पृष्ठभूमि में डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। हालांकि वामपंथी इसे सियासत का हिस्सा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि पिछले चुनाव में शिमला की जनता ने मेयर पद पर कोटखाई से ताल्लुक रखने वाले संजय चौहान और डिप्टी मेयर पद पर सोलन के अर्की से संबंध रखने वाले टिकेंद्र पंवर को भारी मतों से जिताया था। उन्होंने नगर निगम में नया इतिहास कायम किया था। 

विशेषज्ञों की राय लेने के बाद हो रैली
कांग्रेस ने भी अपनी राजनीतिक भाषी बदल दी है। अब पार्टी विशेषज्ञों की राय लेने के बाद रैली करने की बात कह रही है। इससे पहले जब-जब भी देश के बड़े नेताओं की रैलियां हुई तब कांग्रेस ने कोई राय लेनी उचित नहीं समझी। कांग्रेस को भी डर है कि रिज से मोदी रैली के जरिये भाजपा सियासी ‘उड़ान’ भरेगी। इसका असर न केवल विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा बल्कि निगम चुनाव भी इससे प्रभावित होने से नहीं बच सकेंगे। इसलिए उसे वामपंथियों के सुर में सुर मिलाने पड़ रहे हैं। 

यह उठा रहा सवाल
सवाल यह उठता है कि अगर रिज के नीचे बने टैंक के एक हिस्से में दरार आ गई है तो फिर इसे अभी तक ठीक क्यों नहीं करवाया गया है? जबकि यह निगम के पुरानेकार्यालय से कुछ दूरी पर ही है। इस दिशा में प्रयास आरंभ क्यों नहीं हुए हैं। मोदी की 27 अप्रैल को रैली हो रही है, ऐसे वक्त में यह सवाल उठाना क्या सही है? हालांकि दरारें आना गंभीर विषय है। इसे ठीक करवाने की जिम्मेवारी नगर निगम की है। आखिर निगम प्रशासन इस ओर क्यों ध्यान नहीं दे पाया है। इसी जगह पर समर फैस्टीवल हुआ तब इसकी इजाजत जिला प्रशासन ने क्यों दी? ऐसे कैसे हो सकता है कि प्रशासन मंनोरंजन के लिए तो यहां आयोजन करवा देता है और देश के प्रधानमंत्री की रैली पर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर सवाल उठा देते हैं।