प्रदेश में बेहतर शासन के लिए सरकार लेगी Artificial Intelligence का सहारा

Tuesday, May 15, 2018 - 06:00 PM (IST)

शिमला (राजीव): प्रदेश में अवैध निर्माण, अवैध वन कटान पर प्रतिबंध लगाने के लिए अब सरकार आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का सहारा लेगी। राज्य सरकार बेहतर और पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस और प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेगी। इसका प्रयोग प्रदेश में निर्माणाधीन विकास परियोजनाओं को समयबद्ध पूरा करना सुनिश्चित बनाने की निगरानी के लिए भी किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद द्वारा आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस’ ‘पोटेन्शियल एप्लीकेशन इन हिमाचल प्रदेश’ पर आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री जयराम  ने कहा कि सरकार आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का अधिक उपयोग सुनिश्चित करेगी।


दशकों से किया जा रहा आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का अध्ययन
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस में न केवल अद्भुत आर्थिक क्षमता है बल्कि सामाजिक प्रभाव भी है और यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में अहम भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस का अध्ययन दशकों से किया जा रहा है लेकिन अभी तक यह कम्प्यूटर विज्ञान में सर्वाधिक भ्रामक विषयों में से है। उन्होंने कहा कि विज्ञान ने जबरदस्त प्रगति की है और 20 वर्ष पहले तक हजारों मील दूर अपने मित्रों अथवा पारिवारिक सदस्यों के साथ बात करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डिजिटल इंडिया के लिए प्रतिबद्ध हैं जो तकनीक का अधिकांश उपयोग सुनिश्चित बनाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस से अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने तथा जंगलों का खाका तैयार करने और अवैध वन कटान पर प्रतिबंध लगाने में भी कारगर हो सकती है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस चल रही विकासात्मक परियोजनाओं की निगरानी में भी मदद कर सकती है।


आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के अनुप्रयोग से सामने आएंगे नए आयाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतवर्ष में अनेकों कम्पनियां विशेषकर ई-कॉमर्स बिजनैस तथा स्टार्ट-अप आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस तकनीकों का दोहन करने की शुरूआत कर रही हंै। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण चुनौती आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस से प्रासंगिक डेटा एकत्रित करने, पुष्टि करने, मानकीकृत, सहसम्बद्ध, संग्रह और वितरित करना तथा गोपनीयता और नैतिकता से समझौता किए बिना इसे संगठनों, लोगों व प्रणालियों के लिए सुलभ बनाना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के अनुप्रयोगों से राज्य के लोगों के लिए नए आयाम सामने आएंगे।


क्या है आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस
कम्पयूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग आई.आई.टी. मद्रास के अध्यक्ष तथा आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस टास्क फोर्स के अध्यक्ष वी.कामाकोटी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस आगामी कुछ वर्षों में आर्थिक बदलाव लाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मशीन में सभी प्रणालियां, जो बुद्धिमान निर्णय लेती हैं, उनको आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल इंडिया एक बड़ा अवसर प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा स्वीकृत की गई प्रत्येक परियोजना को जियो-टैग तथा इसकी समीक्षा व निगरानी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी की भावना उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के सदुपयोग से सलाहकार समाधान, स्वास्थ्य देखभाल, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, बी.पी.ओ. आदि क्षेत्र नौकरियों के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर सकते हैं।

Vijay