लाइसैंस की जांच पूरी होने के बाद सरकार ने लिया बड़ा फैसला

Sunday, Feb 25, 2018 - 09:37 AM (IST)

शिमला: जयराम सरकार आढ़त के दर्जनों लाइसैंस सस्पैंड करने जा रही है। पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में राज्य के मॉर्कीटिंग बोर्ड, मॉर्कीटिंग कमेटी और मार्कीटिंग निदेशालय ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में दर्जनों लोगों को सड़क किनारे आढ़त के लाइसैंस दिए थे। कृषि मंत्री डा. रामलाल मार्कंडेय ने कार्यभार संभालते ही इन लाइसैंस की जांच को कहा था। जांच पूरी होने पर सरकार ने 31 मार्च के बाद इनके लाइसैंस रिन्यू न करने का फैसला लिया है क्योंकि सड़क किनारे कारोबार करने वाले ज्यादातर आढ़ती ए.पी.एम.सी. को मार्कीट शुल्क न देकर करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। 


पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी सड़क किनारे दिए गए लाइसैंस पर सवालिया निशान उठाए थे। उन्होंने मार्कीटिंग बोर्ड को इन लाइसैंस की जांच के निर्देश दिए थे। उल्लेखनीय है कि ए.पी.एम.सी. की आय का मुख्य जरिया मार्कीट शुल्क होता है। मार्कीट कमेटी मंडियों में काम करने वाले आढ़तियों से कुल कारोबार का एक फीसदी मार्कीट शुल्क लेती है। इससे ए.पी.एम.सी. को करोड़ों की आय होती है लेकिन सड़क किनारे कारोबार करने वाले ज्यादातर आढ़ती ए.पी.एम.सी. को मार्कीट शुल्क नहीं देते। फिर भी पूर्व सरकार के कार्यकाल में ऐसे लोगों को लाइसैंस दिए गए। जिन आढ़तियों ने खुली बोली में मॉर्कीट यार्ड में दुकानें भी ले रखी थीं, पूर्व सरकार ने उन्हें भी सड़क किनारे आढ़त का लाइसैंस दे डाला। 


अब लाल-नीले-पीले तंबुओं में नहीं चलेगी मंडी
हिमाचल में अब लाल, नीले व पीले तंबू लगाकर कोई व्यक्ति आढ़त नहीं चला पाएगा। राज्य सरकार भविष्य में अब सड़क किनारे आढ़त चलाने के लिए लाइसैंस नहीं देगी। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में ए.पी.एम.सी. मॉर्कीट यार्ड खोलेगा। इन्हीं मंडियों में आढ़तियों को कारोबार की अनुमति दी जाएगी। पूर्व वीरभद्र सरकार ने राज्य के कृषि एवं उद्यान उपज विपणन एक्ट 2005 में संशोधन लाकर एग्रीकल्चर मार्कीटिंग डॉयरैक्टरेट का प्रावधान किया था।