हर मजदूर कामगार को मनरेगा के माध्यम से 200 दिन की दिहाड़ी दे सरकार : राणा

punjabkesari.in Saturday, Jun 20, 2020 - 05:30 PM (IST)

हमीरपुर : राजनीतिक अनिच्छा से ही सही लेकिन अब जब कोविड-19 के संकट में फंसी सरकार कांग्रेस पार्टी द्वारा लागू किए गए मनरेगा के महत्व को समझ चुकी है, तो अब विपक्ष की सलाह को मानते हुए मनरेगा में जयराम सरकार 200 दिन की दिहाड़ी ग्रामीणों को दे। यह बात हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि यह वक्त देश और प्रदेश पर छाये संकट का सामना करने का है, न कि मात्र विरोध के लिए विरोध की राजनीति करने का है? उन्होंने कहा कि संकट का दौर कभी भी बीजेपी बनाम कांग्रेस नहीं हो सकता है। संकट का दौर मदद का दौर होता है और जनता की मदद के लिए कांग्रेस पक्ष में हो या विपक्ष में हमेशा तैयार रहती है। 

उन्होंने कहा कि जनता की मदद के लिए मनरेगा बेहद शक्तिशाली व कारगर तंत्र साबित हो चुका है। इसलिए जयराम सरकार आपदा के इस काल में मनरेगा को प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की मदद के लिए इस भरपूर उपयोग करे। क्योंकि मौजूदा संकट में मजदूर, कामगार व किसान बेबसी में रोजगार छोड़कर घरों की तरफ लौट चुका है। हताश-निराश हो चुके इस वर्ग के पास न रोजगार है, न ही निश्चित भविष्य? ऐसे अभूतपूर्व संकट में मनरेगा की जरूरत व मांग पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हुई है। ऐसे में मेहनतकशों के विश्वास को सरकार पुनः स्थापित करने के लिए राहत योजनाओं को उनकी मांगों व जरूरतों के मुताबिक केंद्रित करे। उन्होंने कहा कि मनरेगा में 200 दिनों की दिहाड़ी देने से जहां कृषि उत्पादनों में सुधार होगा, वहीं पैसा सीधे तौर पर मजदूर, किसान के हाथों में पहुंचने से ग्रामीण क्षेत्रों का शुरुआती मूलभूत विकास भी विकसित होगा। 

उन्होंने कहा कि सरकार सुनिश्चित करे कि मनरेगा के तहत ओपन एंडेड फंडेड लागू हो, जैसा कि कांग्रेस कार्यकाल में होता रहा है। कांग्रेस द्वारा आम आदमी के लिए लागू की गई यह योजना पूरे विश्व में गरीबी उन्मूलन के मॉडल के रूप में विख्यात हुई है। यह दीगर है कि मनरेगा की लोकप्रियता से विचलित होकर मोदी सरकार ने लोकसभा में इसका मजाक उड़ाते हुए इसे कमजोर करने का प्रयास किया था। लेकिन संकट का यह वक्त सियासत का नहीं है, इसलिए जयराम सरकार मनरेगा के महत्व व महत्ता को समझते हुए मनरेगा के माध्यम से ग्रामीणों को 200 दिन की दिहाड़ी देना सुनिश्चित करे। उन्होंने मांग की है कि खेतों में काम करने वाले सभी किसानों को कम से कम 90 दिन की दिहाड़ी मनरेगा के माध्यम से सरकार दे ताकि कोविड संकट के दौर में मेहनतकश किसान की मदद हो सके।

उन्होंने कहा कि हर काम केंद्र की बैसाखियों व फरमान पर हो यह जरूरी नहीं है। हर प्रदेश की अपनी समस्याएं व जरूरतें अलग होती हैं। मौजूदा दौर में जो योजना लोगों की मदद के लिए कारगर साबित हो उन्हें सरकार को उसे लागू करने से गुरेज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता के हित में बेहतर योजना किसी भी राजनीतिक दल द्वारा लागू की गई हो, उसे लागू व चालु रखना हर चुनी हुई सरकार का धर्म व दायित्व है। सार्थकता योजनाओं का नाम बदले जाने में नहीं, सार्थकता जनता की मदद में होती है और यही विकास का मूलमंत्र व विकास का सच है।
 


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Edited By

prashant sharma

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