कोविड-19 फ्रंट मोर्चे पर जूझ रहे वर्ग की सामाजिक सुरक्षा को लेकर स्थिति स्पष्ट करे सरकार : राणा
punjabkesari.in Sunday, Apr 26, 2020 - 05:28 PM (IST)
हमीरपुर : प्रदेश की जनता की सामाजिक सुरक्षा को लेकर मुखर हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने फिर सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि आपदा काल में सामाजिक असुरक्षा के माहौल में बेचैन जनता को जमीनी स्तर पर राहत योजनाएं बनाने का प्रदेश सरकार प्रयास करे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के फ्रंट मोर्चे पर लड़ रहे मेडिकल व पैरा मेडिकल के साथ आउटसोर्सज पर सेवाएं दे रहे आम परिवारों के नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा को लेकर सरकार स्थिति स्पष्ट करे। क्योंकि केन्द्र सरकार के ऐलान के मुताबिक सिर्फ स्थाई डॉक्टरों के 50 लाख के बीमे की घोषणा की गई है, लेकिन बहुत ही कम वेतन पर काम कर रहे आउटसोर्सज स्टाफ जिनमें नर्सें, सफाई वाले, ड्राइवर जैसे कई वर्गों के लोग जान जोखिम में रखकर कोविड-19 फ्रंट मोर्चें पर सेवाएं दे रहे हैं।
सरकार उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर अभी भी कोई स्थिति सपष्ट नहीं कर पाई है, जिससे इन वर्गों के परिवार किसी अनहोनी की आशंका में लगातार बेचौन व तनावग्रस्त हैं। सरकार इनकी सामाजिक सुरक्षा की स्थिति तुरंत सपष्ट करे, कि क्या इनको केन्द्र द्वारा घोषित बीमा कवर में इस मूल वर्ग को लिया जा रहा है या नहीं? इसके साथ ही सर्विस सेक्टर के छोटे दुकानदारों करियाना, सब्जी, ब्रेड, अण्डे, न्यूज पेपर एजेंट, मीडिया कर्मी व मेडिकल स्टाफ के साथ जरूरत का सामान मुहैया करवाने वाले लोगों को भी किसी बीमा कवर के तहत सामाजिक सुरक्षा चक्र में लिया जाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बीच सर्विस सेक्टर में काम करने वाले हर नागरिक का जोखिम बढ़ा है, इसलिए सरकार को उनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर स्थिति साफ करनी होगी। वे बोले कि राज्य के बाहर फंसे करीब साढ़े 5 लाख हिमाचलियों को घर लाने के लिए सरकार ने विपक्ष द्वारा बनाए गए लगातार दबाव के बाद कुछ प्रयास शुरू किए हैं, जो उनके लिए सकून की बात है। क्योंकि किसी भी राजनीति के लिए नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दे से बड़ी कोई और बात नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि बाहर फंसे लोगों को लाने का फैसला विपक्ष के लगातार दबाव के कारण सरकार ने बेशक देर से लिया है लेकिन प्रदेश की जनता व कांग्रेस पार्टी के लिए यह प्रयास कुछ हद तक संतोषप्रद साबित हो रहा है।
सरकार की कुम्भकर्णी नींद जनता की मुसीबत को लेकर भले ही देर से टूटी है लेकिन आखिर टूटी तो सही? उन्होंने कहा कि सरकार को मुसीबत के इस दौर में इस बात पर भी गंभीर गौर करने की जरूरत है कि वर्तमान में सरकार शासन को अपने तरीके से चलाना चाह रही है, जबकि अफसरशाही सरकार को अपने तौर-तरीकों से चलाना चाह रही है। इन दोनों की सत्ता की समानांतर व्यवस्थाओं के कारण समूचा सिस्टम कन्फयूजन की स्थिति में है। क्योंकि अक्सर अफसरशाही का वास्ता व नाता संभ्रांत संपन्न वर्ग से रहता है, इसलिए अफसरशाही आम जनता को नजरअंदाज करके राहत की पहल उच्च वर्ग के लिए करवा रही है, और इसी कन्फयूजन की स्थिति में महामारी के दौर में प्रदेश की जनता पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है।