वन भूमि से सेब के अवैध बगीचे न हटाने पर सरकार को फटकार

Friday, Jun 22, 2018 - 10:16 AM (IST)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर सेब के बगीचे लगाकर अवैध कब्जे करने के मामले में उचित कार्रवाई न होने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने वन व राजस्व विभाग के संबंधित कर्मियों को आखिरी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अगली सुनवाई तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे अवमानना जैसी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। कोर्ट ने कोटगढ़ कुमारसैन के डी.एफ.ओ. द्वारा अवैध कब्जों की सही जानकारी न देने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी। 


उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने वन भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाने में डिमार्केशन के कारण हो रही देरी पर संज्ञान लेते हुए अपने आदेशों में स्पष्ट किया था कि वन विभाग स्वयं डिमार्केशन के लिए आवेदन कर बेदखली को लंबा न खींचे। इन आदेशों के बावजूद वन विभाग अपनी भूमि छुड़ाने के लिए ढीला रवैया अपना रहा है। बड़े कब्जाधारियों के खिलाफ वांछित कार्रवाई नहीं हो रही है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सी.बी. बारोवालिया की खंडपीठ ने कोर्ट में उपस्थित प्रदेश वन अधिकारियों को आदेश दिए कि वे बिना देरी किए व बिना कोई बहाना बनाए 2 सप्ताह के भीतर बड़े कब्जाधारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाईयां करें। 


कोर्ट ने वन विभाग के प्रधान सचिव को 2 सप्ताह के भीतर अपने निजी शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा कि प्रतिदिन के हिसाब से अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ क्या-क्या कार्रवाई की। कोर्ट ने वन भूमि पर अवैध कब्जों के सबसे बड़े गोरखधंधे का असली दोषी राजस्व विभाग के संबंधित लोगों को ठहराया। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट के ध्यान में लाया गया था कि पिछले 4 वर्षों से वन विभाग हाईकोर्ट की आंखों में धूल झोंकता आ रहा है और छोटे-मोटे कब्जाधारियों की लिस्ट सौंपकर समय निकाल रहा है। मामले के लंबित रहते अनेक लोगों ने मुख्य न्यायाधीश व एमिक्स क्यूरी को पत्र लिखकर बड़े कब्जाधारियों के नाम बताए जिनका वन विभाग की लिस्ट में उल्लेख न होना दर्शाता है कि वन विभाग किस तरह पिक एंड चूज की नीति पर चल रहा है। मामले पर सुनवाई 11 जुलाई को होगी।

Ekta