आरटीआई में हुआ खुलासा, सरकार भर रही माननीयों का सालाना 2.10 करोड़ आयकर

punjabkesari.in Thursday, Aug 26, 2021 - 10:29 AM (IST)

चुवाड़ी (सुरिन्द्र कुमार) : प्रदेश आर्थिक संकट से जूझ रहा है और सरकार 60 हजार करोड़ कर्ज रूपी ऑक्सीजन के सहारे अपने अस्तित्व को बचा रही है। हैरानी इस बात की है कि अपनी शानो-शौकत और बेवजह खर्चों पर लगाम लगाने की कभी किसी जन प्रतिनिधि ने पहल नहीं की। भले ही पिछले 2 वर्षों में कई लोग आर्थिक मजबूरियों के चलते आत्मदाह जैसा कदम भी उठा चुके हैं। माननीय को लाखों रुपए के वार्षिक वेतन-भत्ते प्राप्त कर रहे हैं। यही नहीं, सरकार व विपक्ष अपना आयकर भी नहीं देना चाहते और इसका भुगतान भी सरकारी खर्चे से ही किया जा रहा है। 

चौकाने वाले आंकड़े आए सामने 

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। वर्ष 2019-20 में प्रदेश के विधायकों, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने जो भी वेतन-भत्ते आदि प्राप्त किए, उस पर 1,78,47,287 करोड़ रुपए आयकर भुगतान किया गया। सीएम व अन्य मंत्रियों को जो भी वेतन9भत्ते मिले हैं, उस पर 31,59,495 लाख रुपए आयकर सरकारी खजाने से भरा। इन सभी को मिलाकर कुल योग 2,10,16,782 करोड़ बनता है। यह ब्यौरा तो महज एक वर्ष का है और इस प्रकार 5 वर्ष में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा की राशि इन नेताओं के आयकर के रूप में सरकारी कोष से दी जा रही है। 
चाहे किसी भी दल की रही सरकार, किसी ने भी रोक लगाने की पहल नहीं की।

हैरानी इस बात की है कि सरकार चाहे किसी भी दल की रही हो, किसी ने भी इस पर रोक लगाने की पहल नहीं की। लोगों का कहना है कि सरकारी खजाने में जो भी कोष जमा रहता है, वह सब जनता से टैक्स के रूप में उगाहे गए धन का एक भंडार है और इस कोष को किस प्रकार बर्बाद किया जा रहा है। यह आयकर से संबंधित सूचना इसका ज्वलंत उदाहरण है। आम लोग यहां महंगाई और मंदी से त्रस्त है वहीं सरकारी खजाने का यह बोझ भी जनता को उठाना पड़ रहा है। क्या कोई जन प्रतिनिधि इस बारे आवाज उठाएगा?

60 हजार करोड़ के कर्ज तले दबा प्रदेश

इस समय प्रदेश 60 हजार करोड़ के कर्ज तले दब चुका है और दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग है जो अपनी सहूलियत के मुताबिक ही अपने ऊपर किए जाने वाले खर्चों का मसौदा इस प्रकार तैयार कर रहे हैं। ऐसा करते समय सत्ता पक्ष और विपक्ष में पूरा सामंजस्य रहता है। उनके अनुसार हो सकता है कि ये नेता समाज के लिए एक बेहतर कार्य कर रहे होंगे लेकिन इस देश के डाक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी और यहां तक कि वे वैज्ञानिक जो रात-दिन एक करके इस महामारी में वैक्सीन ईजाद करके लोगों के लिए एक संकटमोचक का काम कर रहे हैं, वे भी आयकर देते हैं तो फिर इन नेताओं पर यह छूट क्यों। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि अगर सरकार की आर्थिक नीतियां इसी प्रकार निर्धारित होती रहीं तो प्रदेश के एक आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार किस प्रकार से होगा, इस पर अवश्य ही सवालिया निशान लगता जा रहा है।

आम आदमी पार्टी और माकपा ने ली चुटकी

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एसएस जोगटा ने कहा कि माननीय के टैक्स की अदायगी सरकार की तरफ से करना गलत है। जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी टैक्स की अदायगी कर सकता है, तो माननीय क्यों नहीं? वहीं माकपा नेता संजय चैहान ने कहा कि सरकार जनता को तो एपीएल और बीपीएल में बांट रही है लेकिन माननीय को सब कुछ माफ किया जाना गलत है। माननीय को जनता की राशि से अदायगी किया जाना गलत है।


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prashant sharma

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