कोरोना पर फेल सरकार, कोई प्रभावी नीति नहीं : राणा

punjabkesari.in Saturday, Dec 05, 2020 - 12:09 PM (IST)

हमीरपुर : प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने के सारे प्रबंध करने में विफल साबित हुई है। हिमाचल में कोरोना महामारी दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है और भाजपा सरकार के पास लोगों का जीवन बचाने के लिए अब तक कोई भी ठोस योजना सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के अलग-अलग जिलों में बनाए गए कोविड केयर सेंटर सुविधाओं के अभाव में वहां रह रहे कोरोना संक्रमण के शिकार लोगों के लिए दोगुनी आफत का काम कर रहे हैं।

हालात ऐसे हो गए हैं कि राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए तय किए गए अस्पतालों में लोग सुविधाओं के अभाव और भय के कारण मौत के मुंह में जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के प्रभाव में आ रहे लोगों के मनोवैज्ञानिक का इलाज की दिशा में भी राज्य सरकार अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पाई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार शुरू से ही कोरोना संक्रमण पर काबू पाने की अपनी नीतियों की विफलता की वजह से आम लोगों के जीवन को खतरे में डालती आयी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुप्रबंधन के चलते आज प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मौतों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है और  हर रोज 15 से 25 लोगों की मौत हिमाचल प्रदेश में हो रही है, लेकिन सरकार की ओर से इससे निपटने के लिए कोई भी ठोस नीति  नहीं की है। पिछले 1 महीने में ही लगभग 400 लोगों की मौत हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गई है। यह आंकड़ा हिमाचल की दृष्टि से बेहद चिंताजनक है। 

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के बजाय राज्य की भाजपा सरकार और इसके नेताओं ने पिछले लगभग 4 महीने से लगातार बड़ी बड़ी रैलियां करके इस संक्रमण को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाई है। अब तो हिमाचल में नौबत ऐसी आ गई है कि राज्य हाई कोर्ट को  कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए राज्य सरकार की विफलता के बाद दखल देना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कोरोना के दूसरे दुष्प्रभावों से निपटने में में भी राज्य सरकार विफल साबित हुई है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दौरान भी  बेरोजगार हुए युवाओं को रोजगार के साथ-साथ उनकी काऊसिलिंग की दृष्टि से भी कोई भी महत्वपूर्ण कदम अब तक राज्य सरकार नहीं उठा पाई है, जिससे कि बेरोजगार हताशा में जी रहे हैं या फिर मौत को गले लगाने लग पड़े हैं यह परिस्थितियां बेहद चिंताजनक हैं लेकिन लेकिन राज्य सरकार इन मामलों में सोचने के बजाए  सफलता के खोखले दावे करती रहती है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

prashant sharma

Recommended News

Related News