सरकार की जोर जबरदस्ती से को-आप्रेेटिव सैक्टर हो सकता है तबाह : राणा

Monday, Apr 25, 2022 - 06:22 PM (IST)

सहकारी समीतियों को बनाया टैक्स उगाही का जरिया
हमीरपुर:
सरकारी उपक्रमों को तबाही की कगार पर पहुंचाने के बाद अब बीजेपी सरकार की दमनकारी नीतियों ने कृषि सहकारी नीतियों को बर्बाद करने का मनसूबा बना लिया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रैस बयान में कही है। राणा ने कहा कि को-आप्रेेटिव सैक्टर के हवाले से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो अब बीजेपी सरकार ने सहकारी कृषि सभाओं में गैर-सदस्यों के निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि सहकारी समीतियों को अधिकांश डिपॉजिट गैर-सदस्यों का ही मिलता है। इतना ही नहीं कृषि सभाओं में किए जाने वाले निवेश पर सदस्यों के लिए 10 फीसदी टीडीएस काटने का भी प्रमाण जारी किया गया है। सरकार की इस दमनकारी नीति से समूचे कृषि को-आप्रेेटिव सैक्टर के बजूद पर खतरा मंडराने लगा है। जिससे आने वाले समय में को-आप्रेेटिव सैक्टर तबाह हो सकता है। राणा ने कहा कि को-आप्रेेटिव सैक्टर पर थोपे गए सरकारी फरमानों से इस सैक्टर में काम करने वाले हजारों लोगों को अपने रोजगार की ङ्क्षचता सताने लगी है।

को-आप्रेेटिव सैक्टर का अधिकतर काम हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा में हो रहा है लेकिन सरकार का कोई भी नुमाइंदा को-आप्रेेटिव सैक्टर की समस्या को सोच-समझ नहीं पा रहा है। इसी तरह कृषि सहकारी सभाओं में खाद्य सामग्री व कृषि बीजों की बिक्री पर मिलने वाला बेहद कम कमीशन भी इन सभाओं में घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इसी के साथकृषि सभाओं में राशन वितरण प्रणाली के लिए पीओएस मशीनें लगने से किसान ग्राहकों व कृषि सभा के विके्रताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में नैटवर्क की कनैक्टीविटी न होने के कारण घंटों तक का इंतजार सामान लेने के लिए करना पड़ रहा है। राणा ने कहा कि बीजेपी सरकार को-आप्रेेटिव सैक्टर की समस्याओं को देखते हुए उन्हें सुविधा दे व उनके ऊपर थोपे गए कानूनों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे। अन्यथा यह सैक्टर भी भविष्य में खत्म हो सकता है।

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Kuldeep