यहां 42 दिन बाद होगी देश भर की भविष्यवाणी

Sunday, Jan 15, 2017 - 01:49 AM (IST)

मनाली: कुल्लू घाटी के जर्रे-जर्रे में देव आस्था का चमत्कारिक प्रभाव अन्य राज्यों के लोगों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है। देव अनुकंपा से ही यहां के समस्त गांवों की सत्ता चलती है। देव अनुकंपा का साक्षात उदाहरण शनिवार को मनाली के ऐतिहासिक गांव गोशाल में देखने को मिला। गोशाल में देवलुओं ने देव विधि अनुसार देव आदेश लागू करवाए। उन्होंने देव विधि से सभी कार्य संपन्न किए और देवालय के दरबार 42 दिनों के लिए बंद हो गए। तपस्या के दौरान जिला कुल्लू की ऊझी घाटी के 9 गांव इस आदेश का पालन करेंगे। मनाली की ऊझी घाटी के लोग आराध्य देव ऋषि गौतम, ब्यास व कंचन नाग के आदेश का पालन करने के लिए तैयार हैं। 

गांव में होगा जश्न का माहौल 
देवता के पुजारी चमन लाल, कारदार हरी सिंह और ग्रामीण मेहर चंद ने बताया कि लोगों में देव आदेश का पालन करने को लेकर उत्साह है। ग्रामीण इस देव आदेश का श्रद्धापूर्वक पालन करेंगे। उनका कहना है कि 42 दिन बाद जब देवता देवालय में लौटेंगे तब गांव में जश्न का माहौल होगा। गांव देव वाद्ययंत्रों की धुन पर गूंज उठेगा। मान्यता के अनुसार 14 जनवरी से 26 फरवरी तक देवता स्वर्ग प्रवास के दौरान तपस्या में लीन रहेंगे। शोर न हो इसके लिए देवालय की सभी घंटियां बांध दी गईं। यहां रेडियो व टैलीविजन बंद रखने के पीछे भी यही धारणा है कि ऐसे करने से देवता की तपस्या में विघ्न न पड़ जाए।

न उत्सव मनाएंगे और न रेडियो टीवी चलाएंगे 
इस दौरान न तो यहां पर 42 दिन तक कोई उत्सव मनाया जाएगा और न ही किसान और बागवान खेतों व बगीचों की ओर रुख कर सकेंगे। शनिवार से लोग देव आदेश में बंध गए। इस दौरान लोग रेडियो और टैलीविजन भी नहीं चलाएंगे। सदियों से इस अनूठी परंपरा का निर्वहन लोग कर रहे हैं। गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़ कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग 14 जनवरी से 26 फरवरी तक किसी उत्सव का आयोजन नहीं करेंगे और न ही खेत-खलिहानों में काम करेंगे। 

भविष्यवाणी के ये होंगे संकेत
मृदा लेप लगाते समय मिट्टी छानकर लगाई गई है लेकिन जब उसे हटाया जाएगा तो उसमें बहुत सी चीजें निकलेंगी। मृदा लेप से निकलने वाली चीजों का देव समाज में अलग-अलग अर्थ रहेगा। मृदा लेप से गोपी, कुमकुम, पत्ते, जड़ें, पत्थर, रेत, अनाज के छिलके, कोयला, पशु व मानव के बाल आदि निकलेंगे। गोपी, कुमकुम, पत्ते, अनाज के छिलके को देव समाज के हिसाब से शुभ माना जाएगा जबकि जड़ें, पत्थर, रेत, कोयला, पशु व मानव के बाल को अशुभ माना जाएगा।

फागली के दिन होती है भविष्यवाणी
गोशाल के आराध्य देव 42 दिन के लिए स्वर्ग प्रवास के लिए चले गए। उनके जाते ही देवालय बंद कर दिए। देवता के स्वर्ग से लौटते ही ग्रामीण उत्सव का आयोजन किया जाएगा जिसे फागली कहा जाता है। फागली के दिन देवता विश्व में सालभर होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी करेंगे जिसे सुनने के लिए घाटी के हजारों लोग उपस्थित रहेंगे।