देवभूमि कुल्लू की अद्भुत देव परंपरा, यहां देवलुओं संग देवता भी करते हैं धान की रोपाई

Tuesday, Jul 05, 2022 - 11:20 PM (IST)

कुल्लू (धनी राम): देवभूमि कुल्लू में देवता भी हारियानों के साथ धान की रोपाई करते हैं। ऐसी अद्भुत देव परंपरा का निर्वहन कुल्लू घाटी में कुछेक जगहों में ही होता है। कई इलाकों में देवी-देवता के रोपे (खेत) होते हैं लेकिन कारकून इसके बदले में देवता को कौर यानी टैक्स देते हैं ताकि देवता के कार्यक्रम में धन की जरूरत पूरी हो सके। सैंज घाटी स्थित कोठी बनोगी क्षेत्र में देहुरी स्थित खूहंन नामक देव स्थल पर सदियों पुरानी देव परंपरा का निवर्हन किया गया, यहां हारियानों ने श्रमदान करते हुए देवता संग वाद्ययंत्रों के साथ धान की रोपाई की। इस दौरान पुंडरिक ऋषि के समस्त हारियानों ने भाग लिया।

पहले सराहरी झील में होती थी धान की रोपाई 
हजारों वर्ष पूर्व प्राचीनतम देव संस्कृति अनुसार कोठी बनोगी क्षेत्र के अधिष्ठाता देवता पुंडरिक के नाम से धान रोपाई सराहरी झील में होती थी, जहां कोठी बनोगी की समस्त जनता श्रमदान में रोपाई करती थी। कहा जाता है कि एक बार सराहरी झील पर पानी काफी ज्यादा भर गया, जिससे रोपाई करने वाले सभी कामगार डूब गए। उसके बाद देवता पुंडरिक ने स्वयं ही दूसरे स्थान पर धान रोपाई के रोपे का चयन किया। वर्तमान में यह स्थान खूहंन के नाम से जाना जाता है। देवता के मुख्य कारकून लोतम, किशन, हरफी, डोला, नरोत्तम, शिवदयाल, प्रेम सिंह और संजीव नेगी ने कहा कि पहले सराहरी झील पर देवता पुंडरिक का रूहणी पर्व तक सीमित था। उन्होंने कहा कि सराहरी झील में देवता मात्र डुबकी लगाने की रस्म निभाता है, वहीं धान की रोपाई सराहरी झील के बदले अब खूहंन रोपा में की जाती है।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here
 

Content Writer

Vijay