देवताओं की ''शान'' मिटने की कगार पर, वजह कर देगी हैरान

Friday, Feb 10, 2017 - 02:34 PM (IST)

मंडीः जिस आयोजन पर करोड़ों रूपए खर्च किए जाते हों और उस आयोजन में मुख्य किरदार निभाने वालों को फूटी कौड़ी भी न मिले तो ऐसे आयोजन को आप क्या कहेंगे। कुछ ऐसा ही होता है अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आने वाले देव बजंतरियों के साथ। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां की संस्कृति और रहन सहन पूरी तरह से देवी देवताओं के साथ जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओं के रथ जब चलते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया है। एक सच्चाई यह भी है कि देवी देवताओं के यह रथ बिना वाद्य यंत्रों के नहीं चलते। और इन वाद्य यंत्रों को बजाते हैं देवी देवताओं के बजंतरी।

25 फरवरी से 3 मार्च तक चलेगा महोत्सव
हर वर्ष मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष यह महोत्सव 25 फरवरी से 3 मार्च तक मनाया जाएगा। पूरे महोत्सव में 215 पंजीकृत देवी देवाताओं को बुलाया जाता है और यह देवी देवता तब तक नहीं आते जब तक इनके साथ वाद्य यंत्रों को बजाते हुए बजंतरी न चलें। देवी देवताओं को जिला प्रशासन की तरफ से हर वर्ष नजराना दिया जाता है लेकिन इनके साथ आने वाले बजंतरियों को इसमें से फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती। गत वर्ष से कुल्लू जिला में दशहरा उत्सव के दौरान आने वाले बजंतरियों को 10 हजार रूपए का मानदेय देने की परंपरा शुरू हो चुकी है। मंडी जिला की सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ ने जिला प्रशासन के पास मांग रख दी है कि कुल्लू जिला की तर्ज पर मंडी जिला के बजंतरियों को भी मानदेय दिया जाए।

बजंतरियों को मिलना चाहिए मेहनताना
समिति के अध्यक्ष शिवपाल शर्मा ने बताया कि इस बारे में एक मांगपत्र जिलाधीश मंडी संदीप कदम को सौंपा जा चुका है। यहां गौर करने वाला पहलू एक और भी है। भावी पीढ़ी देवी देवताओं के वाद्य यंत्रों को बजाने में कोई रूचि नहीं दिखा रही है। क्योंकि इन्हें पता है कि इन वाद्य यंत्रों को उठाने और बजाने से इन्हें कुछ नहीं मिलता। यही कारण है कि इस पुरातन संस्कृति पर भी कहीं न कहीं संकट के बादल मंडराने लग गए हैं। सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के प्रधान शिवपाल शर्मा की माने तो अगर बजंतरियों को मानदेय मिलना शुरू हो जाता है तो इससे भावी पीढ़ी का इस ओर रूझान बढ़ सकता है।

बजंतरियों को अभी भी है यह उम्मीद
अगर बजंतरियों के मान सम्मान की बात करें तो उसमें जिला प्रशासन कोई कमी नहीं छोड़ता। गत वर्ष से देव ध्वनि कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ है जिसमें बजंतरियों को पूरा मान सम्मान दिया जाता है, क्योंकि इनके वाद्य यंत्रों से निकलने वाली धुनों के कारण है देव ध्वनि का कार्यक्रम हो पाता है। अब बजंतरियों को उम्मीद जगी है कि इस बार इन्हें मान सम्मान से हटकर मानदेय मिलने का क्रम भी शुरू हो जाएगा।