यहां देवता के आदेश होते हैं पत्थर की लकीर, जानिए क्यों

Monday, Jul 17, 2017 - 03:46 PM (IST)

कुल्लू: लोग अपने होटलों को खाली करवा देंगे। चाहे लाखों रुपए का घाटा ही क्यों न हो। अपने आशियानों को तक लोग उखाड़ देंगे। देवता कहे कि चारपाई पर नहीं सोना है तो घर से चारपाई ही हटवा दी जाएगी। यह सब मलाणा सहित जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों में होता है। यहां लोग देव आदेशों से बंधे हुए हैं। विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र के लिए विख्यात मलाणा गांव का यही सच है। यहां 'महर्षि जमदग्नि' की हुकूमत चलती है। स्थानीय बोली में यहां के लोग महर्षि को 'जमलू' कहकर पुकारते हैं। देवता के आदेश यहां पत्थर की लकीर होते हैं। 


गलती पर जुर्माना न वसूला तो देवता से मिलता है दंड
इससे पहले इन मकानों की देव आदेशों के अनुसार पूरी तरह से शुद्धि करवाई गई। देवता के खास स्थानों को कोई छू नहीं सकता। जिनके पास इन स्थानों को छूने और वहां पूजा करने का अधिकार है उन्हें भी इससे पहले कई नियमों का पालन करना पड़ता है। देवता द्वारा चिन्हित गांव के समीप एक विशेष चश्मे के पास जाकर उसके पानी से स्नान करने के बाद ही अधिकृत लोग उसको छू सकते हैं। किसी अन्य व्यक्ति ने कभी गलती से इन स्थानों को छू लिया तो उन्हें जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा। कुछ दिन पहले ही जुर्माना राशि में इजाफा भी किया गया है। मान्यता है कि यदि गलती पर जुर्माना न वसूला गया तो देवता से मिलने वाले दंड के लिए तैयार रहना पड़ेगा। 


भंडार से एक बार निकालना पड़ता है धन
किसी देव कारज को निपटाने के लिए यहां देवता के भंडार से धनराशि खर्च होती है। देवता का भंडार इतना विशाल है कि उसमें कितनी राशि और जेवर हैं, इसका किसी को अंदाजा तक नहीं है। जो देव कारकून इसके लिए अधिकृत हैं वह भी पीछे मुड़कर खजाने में हाथ डालेगा और दोनों मुठ्ठियों में जो कुछ आया उसे लेकर बाहर आ जाएगा और अन्य देव कारकूनों के समक्ष पेश करेगा। उसमें धन राशि, आभूषण आदि शामिल हो सकते हैं। उसी से देवता के आदेशानुसार संबंधित देव कारज को निपटाया जाएगा। यदि फिर भी धन की कमी रहे तो इसे ग्रामीण अपने स्तर पर वहन करेंगे या फिर से देवता के खजाने से राशि निकालने की इजाजत मांगेंगे। 


देवी-देवता तय करते हैं देव कारज की दिशा
यहां देवी-देवता हर देव कारज की दिशा और दिन सहित तमाम बातों को तय करते हैं। देवता ने किसी कार्य के लिए जो दिन तय किया वह देव कारज उसी दिन होगा। किसी भी विवाह शादी, मुंडन संस्कार, यज्ञ सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए पुरोहित यदि कोई दिन तय करेंगे तो उस दिन को लेकर अंतिम स्वीकृति देवी-देवता ही देंगे। किसी तरह के विघ्न की आशंका को लेकर भी देवी-देवता पहले ही आगाह करेंगे।


भविष्यवाणी करते हैं देवता
माना जाता है कि पौष और माघ मास की संक्रांति को देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर निकल जाते हैं। एक माह के लिए देवालयों के कपाट भी बंद रहते हैं। आने वाले वर्षफल के बारे में विस्तार से बताएंगे। आगामी वर्ष में क्या होगा यह बताने की कुछ देवालयों में अलग प्रक्रिया भी है। गुर के माध्यम से देवी देवताओं ने जो भविष्यवाणी की उसी के अनुसार लोग कार्य करते हैं।


नियमों से बंधे हैं यहां के लोग  
पार्वती घाटी के छेऊंर गांव में मंगलेश्वर महादेव स्थित हैं। यहां माघ मास में मंदिर के आसपास रेडियो, फोन आदि चलाने की तो मनाही रहती ही है साथ ही मंदिर के चारों ओर 100 मीटर के दायरे में स्थित मकानों में चारपाई पर भी नहीं सो सकते। इन घरों में चारपाई ही देखने को नहीं मिलेगी। 


कई बार देव आदेश पर हटाए आशियाने
फागू गांव से पुरोहित नेत्र प्रकाश शर्मा, छिंजरा से प्रदीप शर्मा, नग्गर से पुरुषोत्तम शर्मा, मनाली के वशिष्ठ से चुनी लाल आचार्य, शमशेर दत शास्त्री कहते हैं कि कुल्लू में देवी देवताओं की इजाजत के बिना कोई कार्य नहीं होता। कई बार ऐसा भी हुआ है कि देवताओं ने कुछ आशियानों को हटाने के आदेश दिए। क्योंकि यह घर या देवालयों के बिल्कुल करीब स्थित थे, जिससे देव कारज प्रभावित हो रहे थे।