यहां अश्लील दोहों से भगाई जाती हैं आसुरी शक्तियां

Sunday, Jan 01, 2017 - 01:54 AM (IST)

नग्गर: नग्गर में शनिवार को एकदिवसीय नग्गर गनेड़ मनाई गई।  पिछले 400 सालों से भी अधिक समय से मनाई जा रही इस गनेड़ में जहां दो फाटी जाणा और नग्गर के बीच एक रस्सा दौड़ हुई, वहीं एक आदमी के सिर के ऊपर सींग लगाए गए और उसे मुसल पर बैठा कर नग्गर कैसल के पास अश्लील दोहे बोले गए। यह सारी प्राचीन प्रथा देखने के लिए हजारों लोग नग्गर में इकट्ठा हुए। मान्यता है कि इस महीने में असुरी शक्तियां हावी होती हैं तो उनका प्रभाव कम करने के लिए अश्लील दोहे बोले जाते हैं। इस वर्ष दौड़ में कोई भी फाटी विजय नहीं हो सकी क्योंकि इस वर्ष दौड़ लगाने के लिए जो गूण यानी घास और रस्सियों से बनाया गया रस्सा पहली ही दौड़ में टूट गया। मगर इसके बावजूद भी 3 दौड़ें पूरी की गईं और लोगों ने बड़े ही उत्साह से इन दौड़ों में हिस्सा लिया और देवता का आशीर्वाद लिया। 

एक बहुत बड़े दानव ने किया लोगों को परेशान
स्थानीय परम्परा अनुसार लोगों का कहना है कि पुराने समय में कभी एक बहुत बड़ा दानव नग्गर गांव के सामने बड़ाग्रां से ब्यास नदी पार करके नग्गर की तरफ आया डेरा डाल दिया और लोगों को परेशान करने लगा जिससे तंग आकर लोगों ने एक योजना बनाई और जाणा के देवता जीव नारायण का सहारा लिया और उस नाग रूप दानव का वध किया। तभी से उसे नाग हेड़ा कहा जाने लगा जोकि बाद में नगेड़ नाम से प्रचलित हुआ और आज भी उस नाग रूपी दानव को गूण के रूप में बनाया जाता है और अंत में उसे 2 हिस्सों में तोड़ दिया जाता है जोकि हमें आज भी यह बताता है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। आज भी नग्गर में उस स्थान को जहां से यह नाग बड़ाग्रां की तरफ आया था, उसे नागेरी नाली कहा जाता है। नग्गर गनेड़ में मुख्य आकर्षण आदमी के सिर पर लगाए जाने वाले सींग होते हैं और उसको मुसल पर बिठाकर अश्लील जुमले बोले जाते हैं। 

इसलिए बोले जाते हैं अश्लील दोहे
ऐसा माना जाता है कि पौष महीना काला महीना होने के कारण इस दौरान आसुरी शक्तियों का ज्यादा प्रकोप रहता है। नग्गर गनेड़ के दिन बोले जाने वाले दोहे इन बुरी व आसुरी शक्तियों को क्षेत्र की सीमा से बाहर भगाने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ दोहे व जुमले देवी-देवताओं को भी समर्पित होते हैं। जैसे कि जय हो देवी महामाई... तेरी खेल खेलणी लाई। 

संभालकर रखनी होगी हमें संस्कृति
गांव के स्थानीय निवासी प्रशांत ठाकुर, श्याम सुंदर, योगेश, राजू, अरविन्द प्रार्थी, राजू व अमित का कहना है कि यह हमारी पुरानी संस्कृति है जिसे हमें सम्भाल कर रखना होगा। यहां जिन परम्पराओं को निभाया जाता है, जैसे अश्लील दोहे, सींग लगाना और रस्सा दौड़ आदि को सीखना होगा और आगे भी औरों को बताना होगा तभी हमारी प्राचीन सभ्यता बची रह सकती है।