4 साल में एक इंच नहीं सरक सकी फोरलेन परियोजना
punjabkesari.in Monday, Oct 12, 2020 - 11:39 AM (IST)
नूरपुर (राकेश) : सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क परियोजना के कार्य के शिलान्यास के पौने 2 साल बीत जाने के बावजूद एक इंच भी नहीं सरक पाने पर केंद्रीय व प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। याद दिला दें कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा 24 फरवरी 2019 को गग्गल में इस परियोजना के विधिवत शिलान्यास के साथ ही इस बात का भरोसा था कि सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण इस परियोजना को तेज गति से बनाया जाएगा।
इसके बाद स्वयं मुख्यमंत्री विधानसभा में प्रश्नों के उत्तर के रूप में इस परियोजना को जल्द शुरू करने की बात भी कह चुके हैं। ऐसे ही बयान वर्तमान सांसद भी दे चुके हैं कि परियोजना मूर्त रूप जरूर लेगी। इस सबके बावजूद 5 साल से निर्माण की राहत देख रही इस परियोजना के एक इंच भी न सरक पाने तथा अधिग्रहण की जाने वाली जमीन की चौड़ाई तथा मुआवजे जैसे चरणों को ही पार न कर पाने की स्थिति को देखते हुए जनता में प्रश्न उठने लगे हैं कि सरकार इस परियोजना को मूर्त रूप देना भी चाहती है अथवा नहीं।
इन प्रश्नों तथा आशंकाओं को लेकर फोरलेन प्रभावित संघर्ष समिति की एक बैठक गत दिवस भडवार में समिति अध्यक्ष सूबेदार मेजर दरबारी सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इसमें सरकार द्वारा इस परियोजना के संबंध में समय-समय पर कई पैंतरे बदलने तथा मात्र 37 किलोमीटर के प्रथम चरण का काम ही शुरू न कर पाने के लिए सरकार की कड़ी भर्तसना की गई। समिति के महासचिव विजय हीर तथा कानूनी सलाहकार कुशल महाजन ने बताया कि कंडवाल से भाली के मध्य करीब 35 कस्बों की एन.एच. किनारे स्थित इस जमीन की कीमत 5 से 15 लाख प्रति मरला है तथा हाल ही में मुआवजा दर में 40 प्रतिशत कटौती के उपरांत सरकारी दर 50 से 80 हजार प्रति मरला बन रही है।
सरकार इस कीमती जमीन को कौड़ियों के मोल लेने की फिराक में है जो उन्हें किसी भी रूप में स्वीकार नहीं। कभी पर्यावरण का बहाना बनाकर तो कभी सर्कल रेटों पर सवाल उठाकर सरकार व नैशनल हाई-वे अथॉरिटी इस योजना के साथ ही नहीं बल्कि उन हजारों लोगों की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ कर रही है जो गत 5 साल से बीच मझदार लटके हैं। सरकार के इस रवैये के खिलाफ संघर्ष समिति अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। इस बैठक में सुभाष पठानिया, बलदेव पठानिया, जुगल वर्मा, बनारसी दास, राकेश, मनोज ठाकुर, राम चंद तथा शमशेर सिंह मौजूद थे।