वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता, हिमाचल की पहाड़ियों में मिला प्लास्टिक का विकल्प

Sunday, Mar 03, 2019 - 03:50 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): हिमाचल की पहाड़ियों पर मिला बैक्टीरिया प्लास्टिक के विकल्प के रूप में काम में आएगा। यह अपनी तरह की पहली सफलता है। वैज्ञानिकों ने इस माइक्रोब यानी कि बैक्टीरिया की पहचान की है, जो प्राकृतिक बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाता है, जो एक माह की अवधि में स्वत: नष्ट हो जाता है, ऐसे में यह माइक्रोब अब प्लास्टिक तथा पॉलीथीन की समस्या के समाधान की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगा। प्रयोगशाला में इस दिशा में किए गए प्रयोग सफल रहे हैं, ऐसे में अब व्यावसायिक स्तर पर इसे ले जाने की दिशा में प्रयास आरंभ किए गए हैं।

3 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर खोजा बैक्टीरिया

हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने हिमालय में 3 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर इस बैक्टीरिया को खोजा है। इस बैक्टीरिया की विशेषता यह है कि यह अपने आप में से ही प्लास्टिक बनाता है तथा एक माह के  पश्चात यह प्लास्टिक स्वत: समाप्त भी हो जाता है। यह माइक्रोब अपने शरीर के अंदर से 70 प्रतिशत से प्लास्टिक बनाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जैसे ही यह प्राकृतिक बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक गंदे पानी आदि के संपर्क में आता है तो यह नष्ट हो जाता है। प्रयोगशाला में किए गए उपयोग में पाया गया कि इसका उपयोग अनेक खाद्य वस्तुओं को पैकेटबंद करने में किया जा सकता है।

कैंसर के उपचार में भी है उपयोगी

यह बैक्टीरिया एक विशेष प्रकार का डाई भी तैयार करता है। नीले रंग का यह डाई कैंसर के उपचार में उपयोग में लाया जाता है। ऐसे में इस बैक्टीरिया का 2 प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। फार्मास्यूटिकल उद्योग में इस प्राकृतिक बैक्टीरिया का उपयोग दवा बनाने के रूप में किया जा सकता है तो प्लास्टिक तथा पॉलीथीन विकल्प के रूप में भी इसका उपयोग हो सकता है। विदित रहे कि इससे पहले संस्थान के वैज्ञानिकों ने ही एक एंजाइम की भी पहचान की थी, जो कैंसर की दवा के निर्माण में उपयोग में लाया जाता है।

यहां हो सकता है उपयोग

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इसका उपयोग दूध की थैलियों, ब्रैड के कवर, पॉलीथीन बैग व चिप्स के पैकेट आदि में किया जा सकता है। वर्तमान में इनका निष्पादन एक बड़ी समस्या बना हुआ है। यह न केवल पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं, अपितु अनेक प्रकार की समस्याओं का कारण भी बन रहे हैं।

व्यावसायिक उत्पादन के तैयार किया प्रोजैक्ट

आई.एच.बी.टी. पालमपुर  के निदेशक डा. संजय कुमार ने कहा कि हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा व्यावसायिक स्तर पर इस बैक्टीरिया के उपयोग के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समक्ष प्रोजैक्ट रखा है। बताया जा रहा है कि इसी माह नीति आयोग ने इस प्रोजैक्ट को लेकर संस्थान को प्रैजैंटेशन देने को कहा है। ऐसे में संस्थान के वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। 

Vijay