वन रक्षक मौत मामला : GPS बताएगा वन रक्षक की लोकेशन

Saturday, Jun 17, 2017 - 12:07 AM (IST)

करसोग: करसोग क्षेत्र के बहुचर्चित वन रक्षक मौत मामले में पुलिस को घटनास्थल से मिले बैग में सुसाइड नोट व जहर की शीशी के अलावा वन विभाग द्वारा वन रक्षक को दिया गया जी.पी.एस. (जियोग्राफिकल पोजिशनिंग सिस्टम) डिवाइस मिला है। मामले की जांच कर रही पुलिस की स्पैशल इंवेस्टिंग टीम (एस.आई.टी.) को बैग की तलाशी लेने पर यह डिवाइस मिला है। हालांकि इसका इस्तेमाल सैटेलाइट के जरिए लोकेशन जानने के लिए किया जाता है लेकिन यदि यह डिवाइस वन रक्षक के लापता होने व मौत के समय तक ऑन रहा होगा तो वन रक्षक की उस वक्त की लोकेशन का आसानी से पता लगाया जा सकता है। 

एस.आई.टी. की टीम ने जारी रखी मामले की जांच
बेशक वन रक्षक के मौत की जांच का जिम्मा अब सी.आई.डी. को सौंपा गया है लेकिन वीरवार तक एस.आई.टी. की टीम ने इस मामले में जांच जारी रखी। जांच के दौरान जहर की शीशी वन रक्षक ने कहां से खरीदी थी इस पर भी क्षेत्र में कीटनाशक बेचने वालों से पुलिस ने पूछताछ की। शवाड, छतरी सहित कतांडा के आसपास की दुकानों में डी.एस.पी. सुंदरनगर संजीव भाटिया ने कीटनाशक बेचने वालों से संपर्क किया लेकिन इस दौरान कोई भी दुकानदार ऐसा नहीं मिला जो यह कीटनाशक दवाई बेचता हो। तहसील मुख्यालय में हालांकि एक दुकानदार ने इस दवा को बेचने की पुष्टि की है लेकिन वन रक्षक ने ही उससे यह दवा खरीदी है इसका खुलासा नहीं हो पाया। 

दिन में कई लोग खरीदते हैं कीटनाशक दवाई
कीटनाशक दवा विक्रेता के अनुसार यह दवाई दिन में कई लोग खरीदते हैं तथा यह बताना काफी मुश्किल है कि यह दवा मृतक वन रक्षक होशियार सिंह ने खरीदी थी या नहीं। जांच के दौरान मिले जी.पी.एस. डिवाइस के आधार पर मिलने वाली जानकारी से यह खुलासा हो सकता है कि लापता होने के बाद घटनास्थल तक वन रक्षक कौन से रास्ते से पहुंचा तथा वह घटनास्थल पर कितने समय तक रहा। पुलिस की स्पैशल टीम की जांच के बाद अब इस मामले को सुलझाने का जिम्मा राज्य गुप्तचर विभाग के कंधों पर आ गया है।

 5 दर्जन लोगों से हुई है पूछताछ 
वन रक्षक मौत के मामले में पुलिस अभी तक तकरीबन 5 दर्जन लोगों से पूछताछ कर चुकी है। हालांकि इनमें से कुछ लोगों को जांच में शामिल करते हुए उनके बयान भी कलमबद्ध किए गए हैं लेकिन अभी तक इस मामले का पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है। एफ.एस.एस. लैब की फाइनल कैमिकल एनालिसिज रिपोर्ट पर ही पता चल पाएगा कि वन रक्षक की हत्या हुई है या फिर उसने आत्महत्या की है।