देश के लिए कारगिल में प्राण त्यागे, बेटे नौकरी को तरसे

Wednesday, Jul 11, 2018 - 03:55 PM (IST)

रामपुर बुशहर (नोगल): देश की अस्मिता को बचाने व भारतीय सेना की मर्यादा बनाए रखने के लिए देश एवं विदेशी धरती पर ऑपरेशन में सफ लतापूर्वक हिस्सा लेकर कई तमगे हासिल किए लेकिन आप्रेशन विजय के दौरान कारगिल में शहीद हुए फस्ट पैरा स्पैशल फोर्स के जवान डोला राम को क्या मालूम था कि देश के लिए शहादत देने के बाद उनके दोनों बेटों को पढ़ने-लिखने के बाद भी नौकरी के लिए मोहताज होना पड़ेगा। जब 3 जुलाई, 1999 को शहीद होने पर उनकी अर्थी घर पहुंची, तो हिमाचल एवं केंद्र सरकार की ओर से ऐसे सब्जबाग दिखाए गए की, मानो चंद दिनों में ही उनके सामने आसमान से तारे उतार कर ला दें लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि अपने गांव के समीप वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नित्थर में बने शहीद के स्मारक की दशा सुधारने के लिए सरकारी अमले के पास पैसे ही नहीं है। शहीद डोला राम की पत्नी प्रेमी देवी ने स्मारक को सुरक्षित रखने की गुहार लगाई, लेकिन कोई उनकी फ रियाद को सुनने को तैयार नहीं हुआ है। रामपुर के नित्थर निवासी शहीद डोला राम वर्ष 1985 में सेना में भर्ती हुए। उसके बाद 1986 में प्रेमी देवी के साथ विवाह हुआ। 


प्रतिमा की सुध लेने की मांग उठाई
शहीद डोला राम को विदेश सेवा मैडल, स्पैशल सॢवस मैडल, सामान्य सेवा मैडल व सेना मैडल आदि से नवाजा गया था लेकिन उनकी शहादत के बाद पत्नी प्रेमी देवी और 2 बेटे अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। बड़ा बेटा अश्वनी कटोच जिन्होंने बी.टैक व छोटा बेटा अंकु श कटोच एम.बी.ए. कर चुके हैं लेकिन अभी तक कोई नौकरी नहीं मिली। उनका कहना है कि हमारे पिता ने देश रक्षा करते हए कुर्बानी दी है, लेकिन सरकार हमारे लिए नौकरी तक का प्रबंध नहीं कर पाई है। प्रेमी देवी का कहना है कि पति की शहादत के बाद कई अधिकारी और नेता घर आए कई सपने दिखाए गए। रोजी-रोटी चलाने के लिए एक पैट्रोल पम्प शहीद के नाम पर मिला है। जिसके लिए वह प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करती हैं लेकिन नित्थर गांव के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेल मैदान में लगी प्रतिमा की फैंसिंग और छत न लगने से पेंट उखडऩे लगा है और मैदान भी उबड़-खाबड़ है। उन्होंने प्रतिमा की सुध लेने और बेटों को नौकरी की सरकार से मांग की है। 


 

Ekta