OMG! गायों के लिए गौशाला नहीं कब्रिस्तान, वीडियो वायरल (Video)

Saturday, Jul 21, 2018 - 04:25 PM (IST)

सोलन (चिनमय): सिरमौर की सीमा पर गांव मरयोग में स्थित एक गौशाला का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे गौशाला में भूखी-प्यासी दर्जनों गाएं मर रही। हैरानी की बात यह है कि यहां पशु चिकित्सा फार्मासिस्ट की शिक्षा भी दी जा रही है और साथ ही गौशाला भी चलाई जा रही है। जिसे दुधारू पशु सुधार सभा द्वारा चलाया जा रहा है।


इसका मुख्य उद्देश्य भारत में मां का दर्जा हासिल करने वाली गौ को आश्रय देना है, ताकि उन पर हो रहे अत्याचारों से उन्हें छुटकारा मिल सके। लेकिन यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थी ने गौशाला का ऐसा चेहरा सोशल मीडिया में जाहिर किया, जिसे देखकर पैरों तले जमीन निकल जाए। जिसे देखकर बूचड़ खाने में गऊओं पर हो रहे अत्याचार भी कम लगने लगे। सोशल मीडिया में आए इस वीडियो पर गऊओं पर हो रहे अत्याचारों को कुछ इस तरह से दिखाया गया, जिसे देखकर कोई भी आसानी से विचलित हो सकता है। 


ऐसे सामने आई हकीकत
सोशल मीडिया में अपलोड हुए इस वीडियो की हकीकत जानने के लिए जब टीम खुद गौ सदन में पहुंची तो उन्होंने देखा कि गौसदन में तीन ब्लॉक थे, पहले में दुधारू पशुओं को रखा गया था दूसरे में उन गायों को जो थोड़े अस्वस्थ्य थे। तीसरे में जो बेहद कमजोर हो चुके थे और किसी ने किसी बिमारी से पीड़ित थे। दूसरे में जो गऊएं बंधी थी उन्हें देख कर एेसा प्रतीत हो रहा था कि उन्हें शारीरिक यातनाएं ज्यादा और खाने के लिए कम दिया जाता होगा। जिसके कारण वह बेहद कमजोर हो चुकी थी और उनकी हड्डियां उनकी खाल से भी देखी जा सकती थी। जब इस बारे में कर्मचारियों से पूछा गया तो उन्होंने जो खुलासे किए वह और भी हैरान करने वाले थे। उन्होंने बताया कि एक माह में करीबन 15 से 20 गाएं बिमार होने की वजह से मौत का ग्रास बन रही है, जब उनकी मृत्यु होती है तो उन्हें गौशाला के पास बने गड्डे में फेंक दिया जाता है। 


उन्होंने यह भी कहा कि जो गाएं यहां आती हैं, उसका यहां से जिंदा बचकर निकलना बेहद कठिन है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की गऊओं को भी 4000 रुपए लेकर वह गौशाला में शरण देते हैं और अगर वह उनकी सेवा नहीं कर सकते तो उन्हें ऐसा पाप नहीं करना चाहिए। वहीं जब इस बारे में यहां के अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने  कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और मीडिया द्वारा उठाए प्रश्नों से बचते नजर आए। आपको बता दें कि गऊओं को खाने के लिए महज सूखी तूड़ी दी जाती है और उन्हें फीड तो क्या आस-पास प्रचुर मात्रा में लगने वाला घास तक चरने नहीं दिया जाता। इसलिए जो गऊओं की इस स्थिति के जिम्मेवार है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए ताकि भविष्य में भारतवासियों की भावनाओं को कोई आहत न सके। 

Ekta