कांगड़ा में सामने आया Swine Flu का पहला मामला, मरीज का उपचार जारी

Thursday, Jan 30, 2020 - 10:36 PM (IST)

धर्मशाला (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में इस वर्ष का पहला स्वाइन फ्लू का मामला सामने आया है। मरीज नगरोटा बगवां क्षेत्र से संबंध रखने वाला है। बीमारी की पुष्टि होने के बाद मरीज का उपचार किया जा रहा है। वहीं टांडा अस्पताल में एक मरीज में स्वाइन फ्लू रोग के संभावित लक्षण सामने आए हैं, हालांकि मरीज की टैस्ट रिपोर्ट में बीमारी की पुष्टि नहीं हो पाई है। कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद मैडीकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में एक अलग आइसोलेशन वार्ड तैयार किया जाएगा। अभी तक स्वाइन फ्लू से ग्रस्त मरीजों के लिए ही आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था थी लेकिन अब इन दोनों रोगों के संभावित मरीजों को अलग-अलग आइसोलेशन वार्ड में रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।

अभी तक 4 स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए

जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अभी तक 4 स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए हैं। इसमें जिला कांगड़ा में नगरोटा बगवां ब्लॉक से संबंध रखने वाले व्यक्ति में इसकी पुष्टि हुई है। इसके अलावा शिमला में 2 तथा मंडी में 1 मरीज में इसकी पुष्टि हुई है। पिछले वर्ष 2019 में स्वाइन फ्लू रोग से जिला कांगड़ा में 80 से अधिक मरीजों में स्वाइन फ्लू वायरस की पुष्टि हुई थी। इनमें से 14 मरीजों ने इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवाई थी।

क्या कहते हैं डॉक्टर

सीएमओ कांगड़ा डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि जिला कांगड़ा के नगरोटा बगवां ब्लॉक के एक व्यक्ति में स्वाइन फ्लू रोग की पुष्टि हुई है। मरीज का उपचार किया जा रहा है तथा बीमारी से संबंधित सभी दवाइयां स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध हैं। वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक टीएमसी डॉ. सुरिंद्र सिंह भारद्वाज ने बताया कि टांडा अस्पताल में स्वाइन फ्लू तथा कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीजों के लिए अलग-अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश सरकार ने दिए हैं। अस्पताल में स्वाइन फ्लू के लिए पहले ही आइसोलेशन वार्ड स्थापित है तथा अब कोरोना वायरस के संभावित मरीजों के लिए भी अलग आइसोलेनशन वार्ड तैयार किया जाएगा।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

स्वाइन फ्लू एक तीव्र संक्रामक रोग है जोकि एक विशिष्ट प्रकार के एंफ्लुएंजा वायरस (एच-1 एन-1) द्वारा होता है। प्रभावित व्यक्ति में सामान्य मौसमी सर्दी-जुकाम नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना, गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेटदर्द, कभी-कभी दस्त-उल्टी आना है। कम उम्र के व्यक्तियों, छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को यह तीव्र रूप से प्रभावित करता है। इसका संक्रमण रोगी व्यक्ति के खांसने, छींकने आदि से निकली हुई द्रव की बूंदों से होता है। रोगी व्यक्ति मुंह या नाक पर हाथ रखने के पश्चात जिस भी वस्तु को छूता है, पुन: उस संक्रमित वस्तु को स्वस्थ व्यक्ति द्वारा छूने से रोग का संक्रमण हो जाता है। संक्रमित होने के पश्चात 1 से 7 दिन के अंदर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।

स्वाइन फ्लू से ऐसे करें बचाव

स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए खांसी, जुकाम व बुखार के रोगी दूर रहें। आंख, नाक, मुंह को छूने के बाद किसी अन्य वस्तु को न छूएं व हाथों को साबुन/एंटीसैप्टिक द्रव से धोकर साफ करें। खांसते व छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखें। सहज एवं तनावमुक्त रहिए। तनाव से रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टार्च (आलू, चावल आदि) तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करिए। इस प्रकार के पदार्थों का अधिक सेवन करने से शरीर में रोगों से लडऩे वाली विशिष्ट कोशिकाओं (न्यूट्रोफिल्स) की सक्रियता कम हो जाती है। दही का सेवन न करें, छाछ ले सकते हैं। खूब उबला हुआ पानी पीएं व पोषक भोजन व फलों का उपयोग करें। सर्दी-जुकाम व बुखार होने पर भीड़भाड़ से बचें एवं घर पर ही रहकर आराम करते हुए उचित (लगभग 7-9 घंटे) नींद लें।

Vijay