तेज तर्रार SP गौरव सिंह हैं यहां के किंग, शराब तस्करों के लिए बने खौफ

Tuesday, Oct 10, 2017 - 11:23 AM (IST)

केलांग: लाहौल-स्पीति के एस.पी. गौरव सिंह अपराधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम बन गए हैं। जिला लाहौल-स्पीति में शराब तस्करों सहित अन्य नशों की तस्करी करने वाले लोगों सहित तमाम आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों ने अपना बोरिया-बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है। गौरव सिंह की खासियत यह है कि वे लापरवाही पर अपने ही विभाग के लोगों को भी नहीं बख्शते। एक दौर था जब लाहौल-स्पीति से आबकारी अधिनियम के तहत मामले दर्ज ही नहीं होते थे तथा अवैध खनन के मामले प्रकाश में ही नहीं आते थे। अब लगभग हर रोज इस तरह के मामलों सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों पर शिकंजे से संबंधित दर्ज मामले सामने आ रहे हैं। 2013 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी गौरव सिंह ने जब से लाहौल-स्पीति में जिला पुलिस कप्तान की कमान संभाली है, तभी से आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत भी लाहौल-स्पीति पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं। गौरव ने सूचना तंत्र को इतना मजबूत कर दिया कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को गोरखधंधा चलाना मुश्किल-सा हो गया है। सिंह ने दो-टूक कहा कि आम जनता मेरी ताकत है। मैं किसी से नहीं डरता। 


आप त्वरित कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। क्या कहेंगे आप?
मैं अपना काम ईमानदारी से करता हूं। गलत के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करता हूं। सही को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करता हूं। सही को सही और गलत को गलत कहने से मैं नहीं डरता। 


आपने एक साथ 18 पुलिस कर्मियों को सस्पैंड कर दिया। ऐसी धाकड़ कार्रवाई के दौरान कोई दबाव नहीं था आप पर?
मैंने पहले भी कहा कि मैं ईमानदारी से काम करता हूं। जो गलत है वह गलत है। कोई बड़ा निर्णय लेते समय कई तरह के दबाव भी होते हैं, लेकिन ऐसी बातों को दरकिनार करना होता है। आपको कोई सही कार्य करने से एक या दो बार रोके तो आप रुकेंगे नहीं। बाद में दबाव डालने वाले भी चुप ही रहेंगे। सस्पैंड किए गए कर्मचारियों पर जिस तरह के आरोप थे, वह गंभीर मसला था। 


आधी रात को भी आप कहीं भी आ धमकते हैं। उदयपुर थाना पहुंचकर रात को कर्मचारी सस्पैंड किया। क्या इतनी सख्ती से आपके विभाग के लोग परेशान नहीं होते?
हमें सरकार पैसे काम करने के देती है। रात हो चाहे दिन, हमें अपना काम करना होता है। उदयपुर थाना में रात को मैं गया तो यूं ही नहीं गया। कई लोगों के फोन आए कि उदयपुर थाना में कोई फोन नहीं उठा रहा है। लोगों को जब मुश्किल होगी और लोगों की बात जब सुनी नहीं जाएगी तो इसकी तह तक जाना ही पड़ता है। सस्पैंड किया गया कर्मचारी सो रहा था और वह भी फोन के रिसीवर को साइड में रखकर। इसके अलावा और भी कई लापरवाही पाई गई। ऐसे में जो सही कदम बनता था वह उठाया। 


लाहौल-स्पीति से भी शराब माफिया आपके तबादले पर तुला हुआ है। जिले के कई महिला मंडल आपके पक्ष में आगे आए हैं। क्या कहेंगे आप?
मेरा तबादला कहीं भी कोई करवाए, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। महिलाओं द्वारा मेरा पक्ष लिए जाने की बात मुझे भी पता चली थी। मेरा काम जिले की महिलाओं को अच्छा लगा होगा। मेरे कार्य से महिलाओं को यह लगा होगा कि उनका कोई भला हो रहा है या कोई ऐसी बात हुई होगी जिससे उनके घर में कुछ ठीक हुआ होगा, तभी उन्होंने मेरा पक्ष लिया होगा।


हमने सुना कि जो लोग आधी रात को नशे में झूमते हुए घर पहुंचते थे वे समय पर घर आ रहे हैं। ऐसा क्या कर दिया पुलिस ने जिससे शराब पीकर पूरी रात घूमने वाले लोग भी सुधर गए?
लाहौल-स्पीति में शराब माफिया काफी सक्रिय था। इन लोगों को यह लगता था कि अवैध शराब बनाओ, बेचो कोई नहीं पूछता। हमने शराब माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ा। ऐसे लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होने लगे तो अवैध शराब का गोरखधंधा चौपट हो गया। जब अवैध शराब ही नहीं होगी तो शराबी भी चुपचाप अपने घर ही जाएंगे। एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत भी हमने मामले दर्ज किए और अवैध खनन के खिलाफ भी अभियान छेड़ा है।


कुछ दिन पहले आपने एक अवैध ठेका भी बंद करवा दिया था। वह क्या बिना अनुमति के ही चल रहा था?
हां, हमने कार्रवाई की थी। पहले भी मैंने बताया कि अवैध तरीके से शराब बनाने वालों और अवैध तरीके से शराब बेचने वालों का काफी बोलबाला था। एक शराब का ठेका भी इसी तरह बिना किसी अनुमति के चल रहा था। हमने कार्रवाई की थी और ठेका बंद करवा दिया था। ठेके में रखी शराब की सारी खेप भी कब्जे में ली।


पहले तो जिले में अवैध खनन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती थी और अब हो रही है। कितने बड़े स्तर पर चल रहा है यह गोरखधंधा?
अवैध खनन की शिकायत लेकर जिले के विभिन्न इलाकों से लोग हमारे पास आए। लोगों का तर्क था कि यदि हमें अपने घर में काम के लिए रेत-बजरी चाहिए तो माफिया हमें रेत-बजरी देने से साफ इंकार कर देता है। अपने घर के लिए नदियों के किनारे से रेत-बजरी निकालने भी नहीं देते माफिया के गुर्गे। हालात ऐसे हो गए थे जैसे नदियों और खड्डों पर खनन माफिया का कब्जा हो गया था। आम लोगों को पैसे देकर भी भवन निर्माण सामग्री नहीं मिल रही थी। जब पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि माफिया काफी सक्रिय हो गया है। इसलिए खनन माफिया के खिलाफ अभियान छेड़ा गया।