यहां खेतों के बीच मचान ही बना किसानों का आशियाना

Wednesday, Jul 11, 2018 - 03:11 PM (IST)

 ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): बरसात शुरू होते ही घरों से निकलकर किसानों ने रातें खेतों में व्यतीत करनी शुरू कर दी है। खेत में 4 डंडों पर बना मचान ही किसानों का आशियाना बन चुका है। हर खेत के बीचों बीच लकड़ी और घास से बना मचान और उस पर रात को पहरा देते किसान नजर आते हैं। वजह है अपनी फसल को जंगली जानवरों से बचाना ताकि फसल से आजीविका चल सके। भले ही किसानों को अनेक प्रकार की सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे हों परन्तु हकीकत में पहाड़ी क्षेत्रों में किसान अब भी फसल बचाने के लिए जद्दोजहद  करते नजर आ रहे हैं। कभी जंगली जीवों का हमला तो कभी मौसम की बेरुखी से किसान बेहाल हो रहे हैं।

कभी खेतों में बरसात के दौरान मक्की की विजाई करने वाले किसानों ने अब इस परंपरागत फसल को छोड़कर नगदी फसली की ओर रुख किया है। दिक्कतें तो काफी हैं परन्तु किसान आर्थिक तरक्की के लिए यह काम करने लगे हैं। जिला में बड़े स्तर पर अब खीरे सहित कई अन्य प्रकार की सब्जियों की खेती होने लगी है। कैश क्रॉप के रूप में इस पर हाथ आजमाने के पीछे मुख्य कारण इससे मिलने वाला अच्छा खासा मुनाफा और समय की बचत भी है। पहाड़ी क्षेत्र खासकर पथरीले खेतों में किसानों ने बड़े स्तर पर खीरे का उत्पादन शुरू किया है। खेतों के चारों तरफ बाड़बंदी कर उसमें डंडे लगाकर खीरे की बेलों के लिए जाल बनाया जाने लगा है। इन्हीं खेतों के बीच किसान दिन के समय मेहनत करते हैं तो यहां बने मचानों पर ही रातें गुजारते हैं।

गांव बालीवाल के किसान जोगिन्द्र सिंह, गुरमेल चंद व उत्तम चंद कहते हैं कि निश्चित रूप से खेती करना मुश्किल का काम तो है परन्तु इसके अतिरिक्त कोई विकल्प भी नहीं है। मक्की को छोडक़र खीरे और दूसरी सब्जियों का उत्पादन इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें कम समय में अच्छा मुनाफा भी मिल जाता है बशर्ते मौसम अच्छा हो। इस बार बारिश उस तरीके से नहीं हो रही है जितनी इसकी जरूरत है। ऐसे में चिंता बढ़ रही है। पूबोवाल के विकास का कहना है कि हर घर से एक व्यक्ति खेतों में बने मचान पर इसलिए रहता है ताकि रात के समय नील गाय, सुअर सहित कई अन्य जंगली जीव फसलों को बड़े स्तर पर तबाह कर देते हैं। निश्चित रूप से खीरे की खेती अच्छी हो तो मुनाफा बेहतर मिलता है।

पंजाब के व्यवसायी खेतों से ही अच्छे दामों पर खीरा खरीदकर ले जाते हैं। इसी के चलते अधिक किसान इस तरफ आकर्षित हुए हैं। कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेश कपूर का कहना है कि कृषि विभाग पहले से ही किसानों को यह परामर्श दे रहा है कि परम्परागत फसलों को छोड़कर कैश क्राप की तरफ कदम बढ़ाए जाएं। इसके लिए सैमीनार भी लगाए जाते हैं। अनुदान पर बीज भी दिए जाते हैं और तकनीकी मदद भी की जाती है। जिला में खीरे सहित सब्जियों के उत्पादन में अधिक किसान अब आकर्षित हुए हैं। इससे उन्हें बेहतर आय भी प्राप्त हो रही है।
 

kirti