खेतों व बगीचों में खून-पसीना बहाने वाले किसान-बागवानों की मेहनत पर खराब सड़कों ने फेरा पानी

Thursday, Aug 22, 2019 - 11:30 AM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): किसान-बागवानों ने खेतों व बगीचों में खून पसीना बहाकर खूब मेहनत की और जब मेहनत का फल मिलने की बारी आई तो खराब सड़कों ने मुश्किल पैदा कर दी। किसान-बागवान समय पर अपने उत्पाद भी सब्जी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि सारी मेहनत पर पानी फिर रहा है। किसानों-बागवानों को अब चिंता सताने लगी है कि कै से परिवार का पेट पालेंगे। कई किसान इतने विवश हो गए हैं कि उनकी आंखों के सामने ही उत्पाद सड़ रहे हैं और वे चाहते हुए भी उत्पाद को मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं, जिससे उन्हें भारी आॢथक क्षति भी हो रही है, उन्हें रोटी के लाले पड़ जाने की नौबत आ गई है। तैयार फल-सब्जियां बेकार होने लगी हैं, यदि फल-सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाते हैं तो पैसे मिलेंगे और इससे वे घर के खर्च आदि चला पाएंगे।  

जिला कुल्लू में 50 से अधिक सड़कें बंद थीं और विभाग ने बुधवार शाम को 31 सड़कों को बहाल करने का दावा किया। उधर, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कुछ सड़कें महज छोटे वाहनों के लिए खुल रही हैं लेकिन ट्रकों, ट्रालों में किसान-बागवान अपने उत्पाद नहीं ले जा पा रहे हैं, क्योंकि ट्रक व ट्राले खराब, ढही हुई सड़कों पर आगे नहीं निकल पा रहे हैं। कुछ जगह किसान मजदूरों के जरिए खराब सड़कों वाले बिंदुओं पर उत्पादों को आगे निकालने की सोच रहे हैं लेकिन इसका खर्चा इतना आएगा कि जो उत्पादों को बेचने के बाद भी पूरा नहीं हो पाएगा, ऐसे किसान मजबूर हैं और उत्पादों को खराब होते हुए देखने को विवश हैं। 

किसानों-बागवानों के डूब चुके करोड़ों

तलाड़ा के किसान-बागवानों वेद राम, अनूप कुमार, प्रीतम सिंह, विनोद कुमार, कनौण के यशवंत, थर्वण पालसरा, बेली राम, कन्हैया लाल, महेंद्र सिंह, रैला कुमार सिंह, बालमुकुंद, गिरधारी व प्रदीप कुमार ने कहा कि पागलनाले की स्थिति को लोक निर्माण विभाग सुधार नहीं पा रहा है। इस नाले की वजह से सड़क बंद होने के कारण ही किसानों-बागवानों के करोड़ों रुपए डूब चुके हैं। मणिकर्ण घाटी के रविंद्र, सुरेश कुमार शर्मा, चौंग के पूर्व उपप्रधान इंद्रजीत शर्मा, राम कृष्ण व जीवन  ने कहा कि घाटी के ग्रामीण इलाके की सड़कों की हालत खराब है। इन दिनों फल-सब्जियों से लदे मालवाहक वाहन गला पहाड़ से आगे नहीं निकल पा रहे हैं। इससे भारी आॢथक क्षति हो रही है। उत्पाद खेतों-बगीचों में सड़ रहे हंै और किसान-बागवान विवश हैं। 

Ekta