सुविधाओं के लिए तरसा शिमला का KNH, प्रशासन की लापरवाही पड़ सकती है गर्भवती महिलाओं पर भारी

Monday, Oct 01, 2018 - 11:25 AM (IST)

शिमला (जस्टा): प्रदेश का एकमात्र महिला एवं शिशु रोग कमला नेहरू अस्पताल (के.एन.एच.) सुविधाओं के लिए तरस रहा है। जहां प्रदेश के हर अस्पताल में से सबसे ज्यादा सुविधा इस अस्पताल में होनी चाहिए थी, वह सुविधाएं गर्भवती महिलाओं को नहीं मिल पा रही हैं। यहां पर चिकित्सक और नर्स की कमी तो खल रही है लेकिन गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाऊंड और एक्स-रे तक की उचित सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो रही है। अल्ट्रासाऊंड की अगर बात की जाए तो गर्भावस्था में महिलाओं को अल्ट्रासाऊंड के लिए के.एन.एच. से आई.जी.एम.सी. दौड़ाया जाता है। 

हद तो यह है कि के.एन.एच. में बार-बार हो रही घटनाओं के बाद भी प्रशासन जागता हुआ नजर नहीं आ रहा है। जब भी महिलाओं को चिकित्सक अल्ट्रासाऊंड के लिए कहते है तो उन्हें तुरंत आई.जी.एम.सी. भेज दिया जाता है। जब महिलाएं आई.जी.एम.सी. पहुंचती हैं तो कुछ महिलाओं को फार्म गलत भरने के चलते वापिस के.एन.एच. भेज दिया जाता है तो कुछ को दो-दो सप्ताह की डेट दी जाती है, ऐसे में महिलाओं को गर्भावस्था में अपना चैकअप करवाना मुश्किल हो गया है। यहां पर ऐसी स्थिति काफी दिनों पहले से चल रही है। एक बार पहले भी एक महिला को अल्ट्रासाऊंड करवाने आई.जी.एम.सी. भेजा गया था, जिसके चलते गर्भावस्था में महिला के पेट में बच्चा मर गया था। 

बावजूद इसके अल्ट्रासाऊंड की सुविधा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग दावा करता है कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में सारी सुविधा उपलब्ध है लेकिन स्थिति कुछ और ही ब्यां कर रही है। इन दिनों सुविधा को लेकर प्रशासन के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की पोल तो इसी मुद्दे पर खुलती नजर आ रही है कि के.एन.एच. में एक गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाऊंड तक की सुविधा नहीं है। बाकी कीमती मशीनें स्थापित करना तो दूर की बात है। हालांकि इस तरफ सरकार का भी कोई ध्यान नहीं है। 

आई.जी.एम.सी. में समय अनुसार नहीं होते अल्ट्रासाऊंड 
आई.जी.एम.सी. में वैसे तो के.एन.एच. से रैफर की गई महिलाएं को कम से कम एक सप्ताह तक की अल्ट्रासाऊंड करवाने की डेट दी जाती है, लेकिन किसी का  आपातकालीन में अल्ट्रासाऊंड करवाना भी पड़े तो भी नहीं हो पाता है। यहां पर 2 बजे ही अल्ट्रासाऊंड बंद हो जाते हैं, ऐसे में मरीजों को बिना अल्ट्रासाऊंड करवाए ही वापिस घर की तरफ रवाना होना पड़ता है। जब मरीज अल्ट्रासाऊंड रूम में तैनात अधिकारी से बात करते हैं तो वह स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि आपने अगर अल्ट्रसाऊंड करवाना है तो कल आओ जबकि कुछ मरीजों को उसी दिन की डेट तक दी जाती है। उसके बाद भी अल्ट्रासाऊंड नहीं होते हैं।  

आई.जी.एम.सी. के चिकित्सक दे रहे के.एन.एच. में सेवाएं
के.एन.एच. में चिकित्सक की भी कमी चल रही है। आधे डाक्टर आई.जी.एम.सी. के के.एन.एच. में सेवाएं दे रहे हैं। डाक्टर सुबह के समय तो आई.जी.एम.सी. तो दोपहर बार के.एन.एच. में दिखाई देते हैं। तभी यहां पर अधिक घटनाएं सामने आती हैं। चिकित्सक भी साफ शब्दों में कहते हैं कि उन्हें भी दो-दो अस्पताल का जिम्मा संभालना पड़ रहा है। इस स्थिति में उनको भी सेवाएं देना मुश्किल हो गई हैं। यहां पर चिकित्सक का न होना भी घटनाओं का एक मुख्य कारण है। चिकित्सक का पूरा समय दौड़ते  के.एन.एच. तो कभी आई.जी.एम.सी. दौड़ने में बीत जाता है। 

सिफारिश के चलते होते हैं अल्ट्रासाऊंड  
आई.जी.एम.सी. में ऐसा नहीं कि अल्ट्रासाऊंड नहीं होते हैं। जब अल्ट्रासाऊंड होते है तो सिफारिश के चलते फटाफट अल्ट्रासाऊंड होते हैं, ऐसे में आम गरीब लोगों का अस्पताल में आना तो मुश्किल ही हो गया है। अक्सर देखा गया है कि जब गरीब मरीज अपनी तिथि के अनुसार अल्ट्रासाऊंड या एम.आर.आई. करवाते हैं तो बीच में कोई अन्य ही मरीज आ जाते हैं, ऐसे में गरीब मरीज चाहे कितना ही अपनी बीमारी से पीड़ित हो उसका नंबर तो तभी आता है जब सिफारिश के चलते होने वाले अल्ट्रासाऊंड खत्म हो जाते हैं।

के.एन.एच. में बैड का भी प्रावधान नहीं 
के.एन.एच. में बैड का भी प्रावधान नहीं है। महिला के वार्ड की अगर बात की जाए तो यहां पर कई बार दो से तीन महिलाओं को एक ही बैड पर लेटाया जाता है। सवाल तो यह है कि नया भवन  पता नहीं कब  बनकर तैयार होगा। क्योंकि इसका कार्य करीब तीन साल पहले से चला हुआ है। निर्माणाधीन कार्य काफी समय पहले से चल रहा है। 

Ekta