कोरोना को लेकर विशेषज्ञ ने किया अलर्ट, अगले 2 हफ्ते खतरनाक, बरतनी होगी सावधानी

punjabkesari.in Friday, Dec 04, 2020 - 05:26 PM (IST)

शिमला (जस्टा): अगले 2 हफ्तों में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर आने वाला है, ऐसे में कोरोना के मरीजों में बढ़ौतरी होगी। इस स्थिति से निपटने के लिए चिकित्सकों के साथ लोगों को भी अलर्ट रहना होगा। यह बात आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने प्रैस क्लब में कोरोना को लेकर आयोजित कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पीक का मतलब यह है कि कोरोना का ग्राफ पहले बढ़ता है और जब ऊपर लेवल पर पहुंचता है तो उसके बाद उसकी चेन धीरे-धीरे टूट जाती है। अभी 2 हफ्तों में पीक आएगा और उसके बाद फिर कोरोना के मामले कम होते जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोविड काफी लंबे समय तक चलना है। अब गांवों में भी कोरोना के मामले आ रहे हैं, ऐसे में गांव व शहर के लोगों को सावधानी बरतनी होगी।

70 प्रतिशत मरीज देर से पहुंचाए गए अस्पताल


उन्होंने कहा कि अस्पतालों में अभी तक जो मौतें हुई हैं, उनमें से 70 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिन्हें देरी से अस्पताल पहुंचाया गया है। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि जब मरीज में लक्षण ज्यादा दिखाई दिए तो उसे तुरंत अस्पताल लाया जाए ताकि समय रहते उसे उपचार मिल सके। कोरोना मरीजों के फेफड़े तक पहुंता है और फेफड़े को पूरी तरह से जकड़ लेता है। अगर किसी को जुकाम, खांसी, बुखार, खाने में स्वाद न लगना, शरीर में थकावट आना और ऑक्सीजन की कमी हो तो उसमें कोरोना के लक्षण हो सकते हैं।

लॉकडाऊन की बजाय हमें परिर्वतन करने की जरूरत

उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन के दौरान पुलिस कर्मियों, मीडिया कर्मियों व स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों तथा डॉक्टरों व नर्सों आदि ने काफी काम किया है। फिलहाल अब हमें लॉकडाऊन लगाने की जरूरत नहीं है। लॉकडाऊन की बजाय हमें परिर्वतन करने की जरूरत है। अस्पताल में मार्च से अभी तक वही मरीज आते रहे हैं, जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम है। ऐसे लोगों की ज्यादातर मृत्यु हो रही है। उन्होंने कहा कि जिस मरीज को किडनी, कैंसर, डायबिटीज व हार्ट आदि की बीमारी है, उनमें कोरोना के फैलने का अधिक  खतरा रहता है। इन लोगों में इसलिए कोरोना अधिक होता है क्योंकि वे पहले ही बीमारी से पीड़ित होते हैं, ऐसे में उनमें काफी कम रिकवरी होती है। ऐेसे लोगों को हमें कोरोना से बचाना है। इस तरह के मरीजों के आईजीएमसी में ऑप्रेशन भी किए हैं।

आईजीएमसी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के ऑप्रेशन भी हुए

डा. जनक ने कहा कि हमने अपने अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के ऑप्रेशन भी किए हैं। मार्च से लेकर अभी तक साढ़े 3 लाख मरीज अपना उपचार करवा चुके हैं, जिनमें से 4,600 से अधिक गंभीर मरीजों के बड़े ऑपे्रशन हुए हैं, वहीं 206 के करीब हार्ट मरीजों के ऑप्रेशन किए जा चुके हैं। प्रैस क्लब में आयोजित कार्यशाला में आईजीएमसी के डा. बलवीर वर्ता व प्रैस क्लब के अध्यक्ष अनिल हैडली, महासचिव देवेंद्र वर्मा, उपाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान, कोषाध्यक्ष उज्ज्वल शर्मा, संयुक्त सचिव भवानी नेगी, उपाध्यक्ष पराक्रम, कार्यकारिणी सदस्य अभिषेक शर्मा, दिनेश अग्रवाल व कृष्ण मुरारी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

मरीजों में दोबारा भी हो सकता है कोरोना

जो मरीज पहले पॉजिटिव आए थे और ठीक हो चुके हैं, उनमें दोबारा कोरोना हो सकता है। ऐसा नहीं है कि एक बार कोरोना होने के बाद दोबारा नहीं होगा। हालांकि अभी ऐसा हुआ तो नहीं है लेकिन इसकी संभावना है। लोग कोरोना को बिल्कुल भी हल्के में न लें। इन दिनों यह भी देखने में आ रहा है कि लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं, जिसकेचलते कोरोना के मरीजों में बढ़ौतरी हो रही है।

ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हुआ तो लक्षण तय : डॉ. बलवीर

आईजीएमसी के कोरोना योद्धा डॉ. बलवीर वर्मा ने कहा कि अगर किसी मरीज का ऑक्सीजन लेवल 94 से कम है तो उनमें कोरोना के लक्षण लगभग तय हैं। ऐसी स्थिति में फिर लोगों को अस्पताल आने की जरूरत होती है। लोगों को अपना ऑक्सीजन लेवल घर पर ऑक्सीमीटर से चैक करना चाहिए। व्यक्ति की जो मिडल उंगुली होती है, उसमें ऑक्सीमीटर लगाना चाहिए ताकि ऑक्सीजन लेवल सही से आए। कोरोना से बचने के लिए लोग ठीक से मास्क पहनें, हाथों को अच्छी तरह धोएं और सोशल डिस्टैंसिंग का ध्यान रखें।

कोरोना की चपेट में आ चुके हैं 60 से अधिक डॉक्टर व कर्मचारी

आईजीएमसी में मरीजों का इलाज करते-करते 60 से अधिक डाक्टर, नर्सों व कर्मचारियों सहित सुरक्षा कर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ये वे कोरोना योद्धा हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की परवाह न करते हुए दूसरों की जिंदगी को बचाया है। अस्पताल में सभी डाक्टर व कर्मचारी दिन-रात मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। किसी भी मरीज को दिक्कतें नहीं आने दी जा रही हैं।

अस्थियों में नहीं होता कोई वायरस

डॉक्टरों का कहना है कि अस्थियों में कोई कोरोना वायरस नहीं होता है। लोगों में यह भ्रम है। जब डैडबॉडी को जला दिया जाता है तो वायरस भी मर जाता है। अस्पतालों में जब किसी कोरोना संक्रमित की मौत होती है तो डैडबॉडी को पूरी तरह से पैक किया जाता है और श्मशानघाट पहुंचाया जाता है। मृतक के 1 या 2 परिजनों को उसके चेहरे को दूर से देखने की अनुमति दी जाती है।

आईजीएमसी में ऑक्सीजन की कमी नहीं

डॉ. जनक राज ने कहा कि आईजीएमसी में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, वहीं वैंटीलेटर भी हमारे पास उपलब्ध हैं। अगर आगामी दिनों में कोरोना के मरीजों में बढ़ौतरी होती है तो उससे निपटने के लिए तैयारियां पूरी हैं। लोगों को आईजीएमसी में कोई दिक्कतें नहीं आने दी जा रही हैं।

अतिरिक्त बैड का किया इंतजाम

आईजीएमसी में अतिरिक्त बैडों का प्रावधान किया गया है, ताकि कोरोना के मरीजों को भर्ती किया जा सके। अब नई ओपीडी का जो भवन बना है, उसमें 2 फ्लोर में कोरोना के मरीजों के लिए बैड लगाए गए हंै। एक फ्लोर में 25 कोरोना के मरीजों को भर्ती किया गया है और एक फ्लोर अभी खाली है। इसके अलावा जो ई-ब्लॉक में आइसोलेशन वार्ड है, उसमें 93 मरीज भर्ती हैं।

530 कोरोना मरीजों को कर चुके हैं डिस्चार्ज

आईजीएमसी से अभी तक 530 कोरोना के मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन सभी मरीजों ने कोरोना से जंग जीत ली है। आईजीएमसी में वैसे गंभीर मरीज ही आते हैं, ऐसे में डॉक्टरों ने इन सभी लोगों की जिंदगी बचा ली है।


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Vijay

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