फर्जी डिग्री कांड के सबूतों ने अब किया भ्रष्टाचार के गुनाह का खुलासा : राणा

punjabkesari.in Monday, Nov 29, 2021 - 04:54 PM (IST)

हमीरपुर : निजी क्षेत्र में चलने वाले मानव भारती विश्वविद्यालय में 5 हजार फर्जी डिग्रियों का अधिकारिक सबूत मिलने के बाद मेरी और कांग्रेस की बात पर मुहर लगी है, जो कि बीजेपी कार्यकाल में शुरू हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के खुलासे का सबूत है। हालांकि सीआईडी की एसआईटी जांच में 42 हजार डिग्रियां फर्जी होने के डिजिटल साक्ष्य और सबूत मिले हैं। लेकिन पुलिस की प्रारंभिक जांच में 5 से 6 लाख फर्जी डिग्रियां होने का खुलासा हुआ था, जो कि इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि फर्जी डिग्री कांड के भ्रष्टाचार के मामले को दबाने व छिपाने के प्रयास किए गए हैं। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। अब मौके पर बरामद डिग्री धारकों से 80 हजार डिग्रियां बरामद की गई हैं जिनका सीधा संबंध देश भर के 15 राज्यों से निकला है। राणा ने कहा कि हालांकि जांच पूरी होने के बावजूद हजारों नाम व पते वेरिफाई नहीं हो पाए हैं। जबकि इनमें से कई मामले विदेशों में हैं। विदेशों में रहने वाले डिग्री धारकों को पूरी तरह से न केवल चिन्हित किया गया है बल्कि इस संबंध में पूछताछ के कई दौर पूरे हुए हैं। हालांकि इन्हें अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है। क्योंकि इनमें से कईयों को गवाह बनाए जाने की संभावना बनी हुई है। 

राणा ने कहा कि सड़क से लेकर विधानसभा व मीडिया में वह लगातार इस मामले को उठाते आए हैं। क्योंकि यह मामला अब तक के प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है। सीआईडी ने इस मामले में अभी तक एक दर्जन से ज्यादा आरोपियों को हिरासत में लिया है। लेकिन इस मामले के असली गुनाहगार अभी भी हिरासत से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि इस हाई प्रोफाइल मामले में अगर सीबीआई को यह केस दिया होता तो अब तक इस मामले के असली गुनाहगार सामने  आ गए होते। राणा ने कहा कि इस संदर्भ में कई बार यह मामला उन्होंने विधानसभा के अंदर उठाया और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बात की लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैये से यह साबित हो गया है कि सरकार इस केस में न केवल कुछ बड़े लोगों को बचाने व मामले को दबाने का प्रयास कर रही है बल्कि भ्रष्टाचार के इस बड़े मामले पर पर्दा डालने का भी असफल प्रयास कर रही है। 

उन्होंने कहा कि हैरत यह है कि इस मामले के जिन मुख्य सरगना आरोपियों को अब तक सलाखों के पीछे होना चाहिए था वह सरेआम सड़कों पर घूमते हुए आलीशान जीवन बिता रहे हैं। जो कि प्रदेश के लाखों युवाओं को कुंठित व तनाव ग्रस्त करने के लिए जिम्मेदार हैं। राणा ने कहा कि देवभूमि हिमाचल का नाम इस मामले में पूरे हिंदोस्तान में बदनाम हुआ है। जिसको लेकर बीजेपी की राजनीति शक और संदेह के कटघरे में है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले पर सरकार अपना रुख स्पष्ट करे कि आखिर वो कौन हैं जिनको सरकार बचाना चाहती है? सरकार की नाक के नीचे हुआ यह भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा गुनाह अब सबूत बनकर सामने आया है। अब सरकार को प्रदेश की जनता को बताना होगा कि आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी रही है जिसको लेकर सरकार लगातार इस मामले को सीबीआई को देने से हिचकिचाती रही है। क्योंकि इस मामले के असली गुनाहगार कोई और हैं और सजा सरकार और सिस्टम पर भरोसा करने वाली जनता भुगत रही है। राणा ने कहा कि सरकार याद रखे कि 2022 के चुनावों में जनता चौक-चौराहों पर बीजेपी से इस बड़े भ्रष्टाचार के मामले का हिसाब वसूल करेगी।
 


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Content Writer

prashant sharma

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