बिलासपुर के करयालग गांव में उस रात हर कदम पर थी जैसे मौत खड़ी
Wednesday, Aug 21, 2019 - 12:39 PM (IST)
बरठीं (देसराज): बरठीं क्षेत्र के साथ लगते बद्धाघाट-करयालग गांव में रविवार रात भारी बारिश की तबाही के मंजर ने 7 परिवारों को कुछ इस कदर रौंदकर रख दिया मानों जैसे उनका बसेरा ही उजाड़ दिया हो। तबाही के इस मंजर को देखने वालों की आंखें फटी की फटी रह गईं। उजड़े हुए बसेरे से बेघर हुए लोगों को दोबारा बसने में कई वर्ष तो लगें ही लगें लेकिन उस मिट्टी व घर के साथ जुड़ी मधुर यादें हमेशा उनके दिलों में अमिट छाप बनकर दफ न हो गईं। 200 मीटर चौड़े व करीब डेढ़ किलोमीटर के लंबे चौड़े भू-भाग पर बरपे इस कहर ने लोगों की कई बीघा जमीन को तहस-नहस कर वीरान बना दिया है। टनों के हिसाब से वजनी बिखरी पड़ी सैंकड़ों शिलाओं के फैले भू-भाग में कभी जीवन भी था कल्पना तक कर पाना तक मुश्किल हो चुका है।
उस बिना लाइट वाली अंधेरी रात की खौफ नाक कहानी को अपने शब्दों में बयान करते हुए बलवंत पटियाल ने बताया कि सुबह के करीब 4 बजे वह हालांकि घर के ही अंदर वॉशरूम तो गए थे लेकिन 5 बजे के करीब जैसे ही मकान के अंदर से कुछ हिलने व जड़-जड़ की आवाजें आने के बारे उनकी पत्नी ने उन्हें एहसास करवाया। पहले तो यह कहकर कि बारिश की आवाज होगी लेकिन दिल नहीं मानने पर देखा तो मकान के अंदर गहरी खाई बनती देख वे सहम गए। बाहर देखा तो आंगन में भी वैसी ही खाई और गहरा रूप धारण करती चली जा रही थी। उन्होंने बताया कि फोन पर पड़ोसी से संपर्क साधने पर उन्होंने भी उनके घर के पास ऐसी ही जमीनी उथल-पुथल की बात कही।
कई मीटर नीचे तक जमीनी उथल-पुथल
लोगों ने बताया कि परिवार वालों को घर से बाहर निकाला तथा दूसरे लोगों को साथ लेकर घर से किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की योजना बनाई लेकिन अचंभा तो तब होता गया जब जिस दिशा में वे पहले निकले वहां जमीन खिसकना तेजी के साथ शुरू हो चुकी थी। कई मीटर नीचे तक जमीनी उथल-पुथल एक डरावना दृश्य उनकी आंखों के सामने पेश करती चली जा रही थी। सड़क पर टूटी पड़ी बिजली की तारें भी मौत के खौफ से डरा रही थीं। अंत में आई.टी.आई. की दिशा में निकलना शुरू किया तथा सबको सुरक्षित निकालने में कामयाबी मिल गई जबकि कुछ अन्य औरतों व बच्चों को स्थानीय लोगों की मदद व मशक्कत से इस खौफ नाक खतरे से निजात दिलाने में कामयाबी मिल पाई। उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से उनकी जान बच पाई है। लोग न आते तो शायद जो बच गया वह भी नहीं बच पाता। बाद में देखते ही देखते एक शानदार बस्ती उजड़ी हुई बड़े-बड़े पत्थरों की घाटी में तबदील हो चुकी थी।