स्कूलों की हाजरी से लेकर पीरियड तक का सारा रिकॉर्ड विभाग तक एेसे पहुंच रहा

Friday, May 11, 2018 - 10:10 AM (IST)

मंडी(नीरज):मंडी जिला के 420 सीनियर सेकेंडरी और हाई स्कूल इंटरक्नेक्टिविटी के माध्यम से शिक्षा विभाग की मेन वैबसाइट के साथ जुड़ गए हैं। इससे अब इन स्कूलों में अधिकतर पत्राचार ऑनलाइन हो रहा है। भारत में अभी तक इंटरक्नेक्ट की सुविधा सिर्फ हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में ही शुरू हुई है और पायलट आधार पर इस प्रोजैक्ट को मंडी जिला में ही संचालित किया जा रहा है। शिक्षा विभाग, सामाजिक संचार एवं शिक्षा समिति हिमाचल प्रदेश के माध्यम से डिजिटलाइजेशन ऑफ स्कूल प्रोजेक्ट के तहत इस कार्य को कर रहा है। इस प्रणाली को अपनाने से विभाग का सालाना करोड़ों रुपए का खर्च भी कम होगा।

भविष्य में हाजरी को ऑनलाइन लगाने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं
मात्र एक क्लिक से विभागीय निर्देश स्कूलों में पहुंच रहे हैं। स्कूलों की हर गतिविधि, यहां तक की बच्चों की हाजरी को भी वैबसाइट पर अपडेट किया जा रहा है। यदि स्कूल समय पर जानकारियों को अपडेट नहीं करते हैं तो इंटरक्नेक्ट बेवसाइट पर स्कूल की साइट पर रैड अलर्ट आ जाएगा जिसकी मॉनीटिरिंग जिला कार्यलय और निदेशालय में होगी। स्कूल मुखियाओं को विभाग वेबसाइट चलाने के आईडी और पासवर्ड दिया गया है। जिससे स्कूल मुखिया जरूरी निर्देशों की जानकारी लेने के साथ ही हर कक्षा बार छात्रों की हाजिरी भी भर सकेंगे। डिजिटलाईजेशन ऑफ स्कूल प्रोजेक्ट के राज्य समन्वयक हेमराज शर्मा ने बताया कि अभी पत्राचार और वैबसाइट अपडेट पर ध्यान दिया जा रहा है जबकि भविष्य में हाजरी को ऑनलाइन लगाने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।|

शिक्षा विभाग की मेन वैबसाइट के साथ इंटरक्नेक्ट करने की योजना
एक अनुमान के अनुसार शिक्षा विभाग हर स्कूल को पत्राचार करने के लिए हर महीने औसतन एक हजार रुपए खर्च करता है। जिससे लगभग हर महीने करोड़ों रुपए पत्राचार पर ही खर्च हो जाते हैं। प्रदेश में वर्तमान में सरकारी क्षेत्र में 10722 प्राईमरी स्कूल, 2120 मिडिल स्कूल, 925 हाई स्कूल और 1838 सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जबकि निजी क्षेत्र में 1040 हाई स्कूल और 539 सीनियर सेकेंडरी स्कूल चल रहे हैं। भविष्य में इन सभी स्कूलों को शिक्षा विभाग की मेन वैबसाइट के साथ इंटरक्नेक्ट करने की योजना है, ताकि यहां पर सारा पत्राचार ऑनलाइन हो सके।

सभी विभागों में इंटरक्नेक्ट प्रणाली को लागू किया जा सकता है
पोस्टल सिस्टम में निर्देश के स्कूलों तक न पहुंचने के बहाने अकसर शिक्षक लगाते थे लेकिन डिजीटल सिस्टम में अब यह बहानेबाजी भी संभव नहीं होगी। इंटरक्नेक्ट की इस प्रणाली को आइआइटी रूडकी के 2009 बैच के पासआउट कुछ स्टूडेंटस ने तैयार किया है। इस प्रणाली को बनाने वाले अभय कुमार इसे सभी विभागों में लागू करवाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार चाहे तो हर सभी विभागों में इंटरक्नेक्ट प्रणाली को लागू किया जा सकता है।

kirti