निर्वासित तिब्बती संसद ने दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की मनाई वर्षगांठ

punjabkesari.in Thursday, Dec 10, 2020 - 06:54 PM (IST)

धर्मशाला (जिनेश) :   निर्वासित तिब्बत सरकार ने आज धर्मगुरु दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की 31वीं वर्षागांठ मनाई। इस अवसर पर निर्वासित तिब्बती संसद के उपसभापति आचार्य यशी फुंचूक ने कहा समस्त तिब्बतियों की ओर से इसके लिए अभिनंदन करते हैं। उन्होंने कहा यह दिन, जो विश्व मानवाधिकार दिवस को भी चिह्नित करता है। साधारणतः तिब्बतियों व विशेषकर दुनिया के लोकतंत्र, स्वतंत्रता और शांतिप्रिय जनता के लिए धर्म के अनुरूप हर्षोल्लास का यह एक पवित्र दिन हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बत एक धार्मिक रूप से डूबे हुए सांस्कृतिक विरासत और परंपरा, बुद्ध के विमल शिक्षाओं के अद्वितीय दार्शनिक विचारधारा और अभ्यास के बीच से उभरी और विकसित हुआ है। इस अंधकार युग में तिब्बत की सुसंस्कृति की संरक्षित कर रखा है। आचार्य यशी फुंचूक ने कहा कि दलाईलामा ने तिब्बत के लोगों को अहिंसा के दृढ़ मार्ग पर अग्रसर किया है और दुनिया में तिब्बत को एक शांतिप्रिय क्षेत्र के रूप में बदलने की गहन योजना है।

यह एक महान कार्य है कि परम पावन दलाई लामा ने तिब्बत के मुद्दे का हल निकालने के लिए मध्यम मार्ग द्वारा पारस्परिक रूप से लाभकारी दृष्टिकोण की ओर एक रास्ता खोला है। उनके योगदान की विशालता को समझने की बुद्धिमत्ता रखने वाले सभी लोगों ने उन्हें उनके इस प्रयासों के लिए प्रोत्साहित किया और अंततः उन्हें नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान करते समय नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अपने प्रस्तुतीकरण भाषण में कहा कि परम पावन दलाई लामा तिब्बत के मुद्दे का हल करने के प्रयास में हिंसक कार्य को बिल्‍कुल रोकने के लिए कहते हैं। दलाई लामा ने सहन, समादर आदि को आधार बना कर तिब्बत के लोगों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया है। तिब्बत के मुद्दे के समाधान के लिए अहिंसक उपायों द्वारा प्रयास करते रहे हैं।


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Jinesh Kumar

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