Fraud : कर्मचारी ने अधिकारी की मोहर लगाकर ले लिया 3.30 लाख का ऋण

Saturday, Mar 16, 2019 - 11:31 PM (IST)

सोलन (नरेश पाल): बिजली बोर्ड सोलन में अधीक्षण अभियंता कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्यरत एक कर्मचारी ने पर्सनल लोन के कागजों पर अपने अधिकारी की फर्जी मोहर लगाकर बैंक से 3.30 लाख रुपए का ऋण ले लिया। मामले का खुलासा तब हुआ, जब बैंक ने संबंधित कार्यालय को उक्त कर्मचारी की सॢवस बुक में लोन की एंट्री के मामले को भेजा। अधिकारी भी यह देखकर हैरान रह गए कि कार्यालय की ओर से कर्मचारी के लोन को मंजूरी ही प्रदान नहीं की गई है।

अधिशासी अभियंता के पास नहीं डी.डी.ओ. पावर

सबसे बड़ी बात यह है कि लोन के लिए फर्जी बनाए गए दस्तावेजों पर जिस अधिशासी अभियंता (वर्कस) की मोहर लगाई गई है, उनके पास डी.डी.ओ. पावर ही नहीं है। इसमें फॉर करके कर्मचारी ने अपने साइन करके बिजली बोर्ड सोलन मंडल के अधिशासी अभियंता का नाम लिखा हुआ है, क्योंकि उनके पास डी.डी.ओ. पावर थी। अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अधिशासी अभियंता (वर्कस) ने इस मामले की पड़ताल करते हुए सोलन विद्युत मंडल के अधिशासी अभियंता से पूछा कि जनवरी माह में उन्होंने किसी कर्मचारी को लोन की मंजूरी दी हुई है तो उन्होंने इससे इंकार किया। आधिकारिक कागज पर उनके हस्ताक्षर दिखाए गए तो यह हस्ताक्षर उनके नहीं थे। बोर्ड ने फिर बैंक को लिखित जवाब में बताया कि उनकी ओर से उक्त कर्मचारी को लोन की मंजूरी नहीं दी गई है।

जोगिंद्रा सहकारी बैंक से लिया 3.30 लाख रुपए का पर्सनल लोन

विदित रहे कि बोर्ड के एक कर्मचारी ने जनवरी माह में जोगिंद्रा सहकारी बैंक से 3.30 लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया। यह कर्मचारी अधीक्षण अभियंता कार्यालय में कार्यरत था। उस समय बिजली बोर्ड सोलन मंडल के अधिशासी अभियंता के पास ही वर्कस का भी चार्ज था। कर्मचारी ने लोन के लिए बोर्ड के फर्जी दस्तावेज तैयार कर इन पर अधिशासी अभियंता (वर्कस) की मोहर लगा दी जबकि नियमों के मुताबिक उनकी मोहर नहीं लग सकती थी क्योंकि उनके पास डी.डी.ओ. पावर नहीं है। इसके बाद कर्मचारी ने अपने आप ही इस पर फॉर लिखकर इनीशियल हस्ताक्षर कर इसके नीचे बिजली बोर्ड के अधिशासी अभियंता सी.एच. चावला का नाम लिख दिया।

बैंक ने दस्तावेजों की पड़ताल किए बिना दे दिया लोन

हैरानी की बात यह है कि बैंक ने लोन देते समय दस्तावेजों की पड़ताल भी नहीं की। जिस अधिकारी को डी.डी.ओ. पावर ही नहीं है, उसकी मोहर के आधार पर कैसे लोन दिया जा सकता है। इसके अलावा हस्ताक्षर भी फॉर करके किए हुए थे। इसके बावजूद उक्त कर्मचारी को बैंक ने 3.30 लाख रुपए का लोन दे दिया। जब बोर्ड को इस मामले का पता चला तो पुलिस में मामले की शिकायत की। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

पहले भी हो चुका है निलंबित

बिजली बोर्ड के जिस कर्मचारी ने अपने अधिकारी की मोहर लगाकर बैंक से 3.30 लाख रुपए का लोन लिया, उस कर्मचारी का ट्रैक रिकार्ड ठीक नहीं है। वह कंडाघाट में उपभोक्ताओं के बिजली के बिलों को सरकारी खजाने में जमा न करने के मामले में पहले भी निलंबित हो चुका है। इस मामले के बाद ही उसकी तैनाती सोलन में हुई थी। कंडाघाट में बिजली उपभोक्ताओं द्वारा बिल के जमा किए गए पैसों को अपने पास ही रख लाखों रुपए के घपले को अंजाम दिया था। जब इस मामले का खुलासा हुआ तो उसने पूरे पैसा जमा करवा दिए। हालांकि यह मामला अभी भी चला हुआ है। 

कारण बताओ नोटिस जारी

अधिकारी की मोहर लगाने के मामले में उक्त कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसके बाद उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।

मामले की शिकायत पुलिस को दी

बिजली बोर्ड सोलन के अधीक्षण अभियंता एस.के. सैन ने बताय कि  हमारे कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी ने अधिशासी अभियंता (वर्कस) की मोहर और सोलन मंडल के अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर कर जोगिंद्रा बैंक से 3.30 लाख रुपए का लोन ले लिया। इसका पता तब चला, जब बैंक ने कर्मचारी की सर्विस बुक में एंट्री करने के लिए मामला भेजा। जब इसका पता चला तो मामले की पुलिस को शिकायत कर दी।

पुलिस मामले की कर रही छानबीन

ए.एस.पी. सोलन शिव कुमार शर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड ने पुलिस को मामले की शिकायत की है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

Vijay