ओल्ड-न्यू पैंशन के मुद्दे पर गरमाने लगी कर्मचारी राजनीति

Thursday, Oct 25, 2018 - 10:48 AM (IST)

शिमला (राक्टा): ओल्ड और न्यू पैंशन के मुद्दे पर कर्मचारी राजनीति गरमाने लगी है। प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की तदर्थ कमेटी के संयोजक विनोद कुमार ने कहा है कि यह प्रचार सही नहीं है कि नई पैंशन योजना कर्मचारी वर्ग के लिए पूरी तरह से अभिशाप है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से जो अंशदान कर्मचारी के खाते में हर माह जमा होता है, वह पैंशन का ही एक हिस्सा है। इसमें कुछ भ्रांतिया हैं, जिसका महासंघ वार्ता के जरिए सरकार से हल निकालने का काम करेगा। इस अभियान को पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक रंग देने का प्रयास हो रहा है, उससे बचा जाए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 से लागू न्यू पैंशन योजना एक राष्ट्रीय पैंशन नीति है, उसके लिए एक समान पैंशन नियम/नीति लागू होनी चाहिए। इस योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की शंकाओं के निवारण के लिए सरकार गंभीरता से विचार करे। 

नियमित आधार पर ही की जाएं नियुक्तियां
कर्मचारी नेता का कहना है कि मई 2003 से लागू एम.ओ.यू. के कारण राज्यों में सरकारी संस्थाओं में अनुबंध भर्ती नीति लागू हुई, जिसकी अवधि बाद में सरकारों ने 8 वर्ष से कम कर 3 वर्ष निर्धारित कर दी। उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थाओं में अनुबंध पर होने वाली नियुक्तियां वर्ग के नियमित पदों के विरुद्ध की जाती हैं। महासंघ की मांग है कि सरकारी संस्थानों में एक समान नीति के तहत सभी नियुक्तियां नियमित आधार पर ही की जाएं। पुरानी पैंशन बहाली की लड़ाई लड़ रहे संघ ने प्रदेश के सभी जिलों में अधिवेशन करने का निर्णय लिया है। इसी सिलसिले में 26 नवम्बर को दिल्ली में संसद का घेराव किया जाएगा। संघ द्वारा एन.पी.एस. परिवार सांसद-विधायक के द्वार कार्यक्रम के अंतर्गत करीब 40 विधायकों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे जा चुके हैं।

ये हैं संघ की मुख्य मांगें
- केंद्र की तर्ज पर दिव्यांग एवं दिवंगत होने पर कर्मचारियों के परिवार को सी.सी.एस. 1972 सर्विस रूल अनुसार पैंशन का प्रावधान करे तथा डी.सी.आर.जी. का लाभ वर्ष 2003 के बाद रिटायर हुए सभी कर्मचारी को दिया जाए। डी.सी.आर.जी. का लाभ केवल उन कर्मचारियों को मिल रहा है, जो इससे संबंधित अधिसूचना जारी होने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
-पुरानी पैंशन बहाली के लिए जल्द ही उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए, ताकि नई पैंशन योजना की खामियों का दूर किया जा सके।
- निजी कंपनी को कर्मचारियों और राज्य सरकार द्वारा जमा करवाई जा रही राशि को न देकर हिमाचल में ही पैंशन निधि की व्यवस्था की जाए, ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सम्मानजनक पैंशन मिल सके।
 

Ekta