बिजली बोर्ड का कारनामा, ठीक मीटर को डैड घोषित कर कंपनी को पहुंचाया लाखों का फायदा

Tuesday, Feb 20, 2018 - 11:50 PM (IST)

सोलन (चिनमय): क्षेत्र में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की मिलीभगत से एक निजी कंपनी को लाखों का फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा कि निजी कंपनी को फायदा देने के उद्देश्य से बिजली बोर्ड के अधिकारियों व कर्मचारियों ने ठीक मीटर को डैड घोषित कर करीब 42 लाख का फायदा पहुंचाया है। जब इस बात का बिजली बोर्ड के आला अधिकारियों को पता चला तो अधिशाषी अभियंता बद्दी की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई जो इस मामले में गहन जांच कर रही है।

सुरंग का निर्माण कर रही है कंपनी
जानकारी के अनुसार दिसम्बर, 2016 में फोरलेन का निर्माण कर रही जी.आर. कंपनी को बिजली बोर्ड द्वारा अस्थायी कनैक्शन व मीटर जारी किया गया था। उक्त कंपनी के माध्यम से शमलेच के समीप सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। करीब एक वर्ष तक कंपनी द्वारा बिजली बोर्ड द्वारा दी गई बिजली का इस्तेमाल किया गया। सूत्रों से पता चला है कि दिसम्बर, 2017 तक इस मीटर के माध्यम से कंपनी द्वारा 9.68 लाख यूनिट बिजली का इस्तेमाल किया गया है। दिसम्बर  के अंत में जब बिजली बोर्ड के कर्मचारी अस्थायी मीटर की रीडिंग लेने के लिए गए तो मीटर डेड पाया गया। 

65 लाख रुपए तक बनती थी बिल की राशि
बताया जा रहा है कि जिस दिन मीटर को डैड दिखाया गया है, उसी दिन कुछ घंटे पहले बोर्ड के कुछ कर्मचारियों ने मीटर की रीडिंग ले ली थी लेकिन बाद में आला अधिकारियों के दबाव के चलते मामले को रफा-दफा कर दिया गया। कंपनी को 18 लाख रुपए का औसतन बिल दिया गया जबकि मीटर रीडिंग के हिसाब से करीब 60 लाख रुपए तक बिल बनता है। सरचार्ज, मीटर रैंट तथा पीक हावर चार्जिंग जोड़कर यह राशि करीब 65 लाख रुपए तक बनती है। जनवरी, 2018 में बिजली बोर्ड द्वारा नया मीटर जी.आर. कंपनी को जारी किया गया। कंपनी को एक माह का पांच लाख रुपए बिल दिया गया। कंपनी द्वारा बिल के नाम पर करीब 23 लाख रुपए की राशि जमा करवाई गई। 

बोर्ड के अधिकारियों में मचा हड़कंप
जब मामला निदेशक बिजली बोर्ड तक पहुंचा तो बोर्ड के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। सोलन जिला मुख्यालय द्वारा उक्त कंपनी को जारी किए गए मीटर की जांच की गई। जाबली स्थित कंपनी में लैब में डैड मीटर की जांच करने के बाद पाया गया कि मीटर सही था और इसमें किसी कैमिकल आदि के छिड़काव की वजह से तकनीकी खराबी आ गई थी जबकि मीटर में रीडिंग सुरक्षित थी। इस मामले ने बिजली बोर्ड के कई अधिकारियों की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

बिना बिल दिए कैसे होती रही बिजली की आपूर्ति
 सवाल उठ रहे हैं कि बिजली बोर्ड द्वारा कंपनी को प्रत्येक माह बिजली का बिल क्यों नहीं दिया गया। 12 माह तक बिना बिल दिए कंपनी को कैसे बिजली की आपूर्ति होती रही। क्यों समय रहते कार्रवाई नहीं की गई। मीटर डैड होने के बाद ही बोर्ड के अधिकारी हरकत में आए। लाखों रुपए के इस घोटाले की जांच के लिए अधीशाषी अभियंता बद्दी की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस जांच कमेटी में एस.डी.ओ. धर्मपुर सहित कई अधिकारी शामिल थे। दो सप्ताह में जांच कमेटी रिपोर्ट अधीक्षण अभियंता सोलन को सौंपेगी। इसके बाद यह रिपोर्ट निदेशक बिजली बोर्ड को भेजी जाएगी। 

कई कर्मचारी व अधिकारी जांच के दायरे
बताया जा रहा है कि जांच के दायरे में बिजली बोर्ड के कई कर्मचारी व अधिकारी आ रहे हैं। बिजली बोर्ड के अधीक्षण अभियंता एस.के. सेन का कहना है कि जांच कमेटी द्वारा मामले की गहनता से जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई अधिकारी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।