यहां सरकारी योजनाएं कोसों दूर, मौत के साये में रातें गुजारने को बुजुर्ग दंपति मजबूर

Saturday, Oct 05, 2019 - 04:04 PM (IST)

कांगड़ा (दौलत चौहान): भरी जवानी में जिसकी बेटी को ससुराल वालों ने मार डाला हो। जिसका जवान बेटा दो वक्त की रोटी के लिए 10 साल पहले घर से निकला हो और लौट के न आए। जो 80 साल की उम्र में भी अपनी पत्नी के साथ मिलकर मेहनत की रोटी खाता हो उसकी सरकार तो क्या भगवान भी नहीं सुनता। ये उस मेहनतकश इंसान की कहानी है जिसके वोट की जरूरत हुक्मरानों को तो पड़ती है लेकिन इनकी नजर उस पर नहीं पड़ती। आइए आपको ले चलते हैं जिला कांगड़ा की ग्राम पंचायत अम्ब पठियार में, जहां बुजुर्ग दंपति मिलाप चंद व बिमला देवी ये आस लगाए बैठे हैं कि कभी तो नई सुबह होगी जब उनको नया घर व वृद्धा पैंशन मिलेगी।

बांस की टोकरियां बेचकर गुजर-बसर कर रहा दंपति

पेशे से बांस की टोकरियां बनाने वाला यह दंपति ज्वालामुखी मंदिर के दुकानदारों को टोकरियां बेचकर अपना गुजर-बसर कर रहा है लेकिन मंदिर में बांस की टोकरियों की जगह अब प्लास्टिक की टोकरियों ने ले ली है, जिससे इनके घर में एक ही समय का खाना बन पाता है। इनके पास एक कच्चा मकान है वो भी गिरने वाला है। बारिश व तूफान में मकान गिरने के डर से रातें बाहर गुजारनी पड़ती है।

बीपीएल सूची से भी निकाल दिया बुजुर्ग दंपति

बुजुर्ग दंपति को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत नए घर की दरकार है। बुजुर्ग दंपति ने धवाला व संजय रत्न से कई बार अपने लिए वृद्धा पैंशन व मकान बनाने की मांग की लेकिन किसी ने भी सुनवाई नहीं की। बुजुर्ग दंपति को जबरन बीपीएल सूची से निकालकर पंचायत को बीपीएल मुक्त घोषित भी कर दिया गया है। बुजुर्ग दंपति ने बताया कि यहां रहते हुए कई बरस बीत गए हैं। आज तक न तो किसी पंचायत प्रधान ने हमारा दर्द सुना और न ही किसी अधिकारी ने। आज भी बिना पक्के घर और बिना पैंशन को रहने को मजबूर हैं। भारत सरकार ने जहां बुजुर्गों के लिए पक्के घर, पैंशन जैसी योजनाएं शुरू कर रखी हैं वहीं यह बुजुर्ग दंपति मौजूदा वक्त में भी उन सभी योजनाओं से महरूम है। योजना बोर्ड उपाध्यक्ष रमेश धवाला के गृह विधानसभा क्षेत्र में रहने वाला यह बुजुर्ग दंपति आज भी सरकार व पंचायत से आस लगाए बैठा है कि उसे पक्का घर व पैंशन जरूर मिलेगी लेकिन लगता है कि इसी आस में कब इस दुनिया से चले जाएंगे यह दर्द भी जुबां पर है।

घर के गिरने का सताता है डर, बाहर लगाना पड़ता है बिस्तर

मिलाप चंद और उनकी पत्नी बिमला देवी ने अपना दर्द ब्यां करते हुए बताया कि वह बांस की टोकरी बनाकर अपना भरण-पोषण करते हैं उनके घर में सिर्फ वही दो रहते हैं। घर कच्चा है, बारिश में डर लगता है कि कहीं गिर गया तो सिर से छत भी छिन जाएगी। इसी डर से घर के बाहर बिस्तर लगाकर भी सोना पड़ता है। स्थानीय युवक सुनील ने बुजुर्ग दम्पति की मदद करते हुए कई बार समस्या को अफसरों व स्थानीय पंचों के ध्यान में लाया लेकिन आज दिन तक कोई मदद नहीं हुई। बुढ़ापे में वे चलने में भी असमर्थ हैं। सरकार व प्रशासन को चाहिए किजल्द उन्हें पक्का घर व पैंशन योजना का लाभ मिले। स्थानीय पंचायत ने भी आज दिन तक कोई भी सहारा नहीं दिया।

Vijay