Watch Video: शिक्षक बेटे की करतूत, बुजुर्ग मां-बाप पर भी नहीं आता तरस

Thursday, Dec 08, 2016 - 09:30 AM (IST)

मंडी (नीरज शर्मा): जरा सोचिए उन मां-बाप पर क्या गुजरती होगी जब उनकी संतान ही उन्हें बेगाना कर दे। खास कर तब जब संतान को पढ़ा लिखाकर शिक्षक बनाया हो। अपने शिक्षक बेटे से मदद के इंतजार में बैठे इन बुजुर्ग माता-पिता 69 वर्षीय करतार सिंह और 62 वर्षीय डीमा देवी की दर्दभरी दास्तां जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या ऐसी होती है संतान।


जानकारी के मुताबिक बड़ा बेटा लोक निर्माण विभाग में कार्यरत था और अपने माता-पिता का पूरा ख्याल रखता था, लेकिन 21 दिसंबर 2015 को उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि बेटे की मौत के बाद जो पैसा मिला उसे गलत कागजात बनाकर सिर्फ पोते ने ही अपने पास रख लिया और उन्हें उससे फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। वहीं परिजनों का यह भी आरोप है कि उनका छोटा बेटा जो शिक्षक है, इनकी कोई सुध नहीं लेता। एस.डी.एम. सदर डा. मदन कुमार ने बताया कि प्रत्येक माता-पिता को मासिक खर्च देने के लिए सरकार ने मेंटेनस एक्ट बनाया है। यदि कोई व्यक्ति अपने माता-पिता को खर्च नहीं देता है तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाही का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति को हर हाल में अपने माता-पिता को खर्च देना होगा नहीं तो उसके खिलाफ आईपीसी के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है।


उल्लेखनीय है कि बेटे की मौत के बाद जो भी पैसा उसके अपने खाते में जमा होता है या फिर मुआवजे के तौर पर मिलता है तो उस पर मां का भी अधिकार होता है। इसके लिए क्लेम लेते वक्त कानूनी वारिस का प्रमाण पत्र पेश करना होता है। इस मामले में तहसील के माध्यम से जो कानूनी वारिस का प्रमाण पत्र बना उसमें मां को शामिल ही नहीं किया गया। यही कारण रहा कि इस दंपति को बेटे की मौत के बाद फूटी कौड़ी तक नसीब नहीं हुई। इस बुजुर्ग दंपति की तरह न जाने और कितने बुजुर्ग दंपति हैं जो अपनी ही संतानों के सताए हुए हैं। लेकिन सही जानकारी न होने के कारण वह अपनी आवाज को उठा नहीं पाते और संतानें भी अपने माता-पिता का अहसान भूलकर उन्हें ठोकरें खाने के लिए छोड़ देती हैं।