अब लेह-लद्दाख की सीमा पर बैठे सैनिकों तक आसानी से पहुंचेगी रसद, BRO को मिली बड़ी सफलता

Wednesday, Oct 11, 2017 - 11:34 PM (IST)

मनाली: दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बन रही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रोहतांग सुरंग के दोनों छोर बुधवार को एक-दूसरे के साथ जुड़ गए। रोहतांग सुरंग 8.8 किलोमीटर लंबी है तथा इस सुरंग को समुद्र तल से 13,300 फुट की ऊंचाई पर बनाया गया है। इस सुरंग का कार्य 28 जून, 2010 में बी.आर.ओ. द्वारा शुरू किया था। यह सुरंग श्रीनगर, कारगिल व लेह राजमार्ग के लिए वैकल्पिक संपर्क की दिशा में एक कदम है। सुरंग के छोर जुड़ते ही लाहौल-स्पीति के बुजुर्गों की उम्मीद जिंदा हो उठी है। रोहतांग सुरंग द्वारा कुल्लू अब लाहौल से जुड़ गया है।

24 अक्तूूबर को रक्षा मंत्री करेंगी विधिवत घोषणा
लगभग 9 कि.मी. लंबी रोहतांग सुरंग देश की आधुनिक सुरंग बनी है। सुरंग 2019 तक देश को समर्पित कर दी जाएगी लेकिन दोनों छोर नॉर्थ और साऊथ पोर्टल के जुड़ जाने से इस साल पैदल आने-जाने वाले लोगो को राहत मिलेगी। बी.आर.ओ. की मानें तो रक्षा मंत्री 24 अक्तूूबर को विधिवत रूप से सुरंग के दोनों छोर जुड़ने की घोषणा करेंगी। बी.आर.ओ. के अधिकारियों ने हालांकि दोनों छोर जुड़ने की पुष्टि नहीं की है लेकिन रोहतांग सुरंग के कर्मियों ने दोनों छोर मिलने की बात कही है। बुधवार शाम 6 बजकर 38 मिनट पर रोहतांग सुरंग के दोनों छोर जोड़ दिए गए हैं। बी.आर.ओ. रोहतांग सुरंग परियोजना के चीफ इंजीनियर कर्नल निलेश चन्द्र राणा ने लोगों से आग्रह किया कि वे जल्दबाजी में भावुक न हों। उन्होंने कहा कि बी.आर.ओ. अपना काम कर रहा है तथा शीघ्र ही विधिवत घोषणा कर दी जाएगी।

48 किलोमीटर कम होगी लाहौल की दूरी
रोहतांग सुरंग बनते ही न केवल लेह-लद्दाख की सीमा पर बैठे देश के प्रहरियों तक पहुंचना आसान हो जाएगा बल्कि लाहौल की दूरी भी 48 किलोमीटर कम हो जाएगी। 28 जून, 2010 को जब यू.पी.ए. अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रोहतांग सुरंग का शिलान्यास किया था तो इसका बजट 1,500 करोड़ रुपए था और लक्ष्य 2015 रखा गया था लेकिन विपरीत परिस्थितियों और हालात के चलते रोहतांग सुरंग समय पर तैयार नहीं हो पाई और समय अवधि बढऩे के साथ-साथ बजट भी 1,500 करोड़ से 4,000 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा।