हिमाचल में एक ऐसी जगह... जहां मर जाते हैं रावण को जलाने वाले (Watch Video)

Tuesday, Oct 08, 2019 - 11:51 AM (IST)

कांगड़ा (मुनीष): आज पूरे देश में लंकापति रावण के पुतले को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में जलाया जाएगा। लेकिन अब भी देश में कई ऐसे स्थान है, जहां दशहरा नहीं मनाया जाता है। इन स्थानों में लंकापति रावण के पुतले को जलाना महापाप समझा जाता है। इन्हीं स्थानों में से एक स्थान है हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ। यहां भगवान भोलेनाथ का हजारों वर्ष पुराना बैजनाथ मंदिर है। ऐसा विश्वास है कि यहां जिसने भी रावण को जलाया, उसकी मौत तय है। इस कारण यहां कई सालों से रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता है।

दशहरा न मनाने की परंपरा यहां कई दशकों से है। लेकिन 70 के दशक में अन्य स्थानों में रावण के पुतले को जलाने की परंपरा को देखते हुए यहां भी कुछ लोगों ने दशहरा मनाना शुरू कर दिया। इसके लिए स्थान चुना गया बैजनाथ मंदिर के ठीक सामने का एक खुला मैदान। परंपरा शुरू हुई। लेकिन उसके परिणाम घातक होने लगे। जिसने पहले दशहरे पर रावण को आग लगाई, वो अगले दशहरे तक जीवित नहीं था। ऐसा एक बार नहीं दो से तीन बार हुआ। इस उत्सव में भाग लेने वाले लोगों को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। फिर सबका ध्यान इस तरफ गया कि रावण तो भगवान भोलेनाथ का परम भक्त था।

कोई देव अपने सामने भला अपने भक्त को जलता हुआ कैसे देख सकता है। फिर क्या था, यह परंपरा यहां बंद हो गई। आज भी यह कस्बा दशहरे के दिन शांत होता है। मान्यता है कि मंदिर से आधा किलोमीटर की दूरी पर पपरोला को जाने वाले पैदल रास्ते पर रावण का मंदिर और पैरों के निशान मौजूद हैं। बैजनाथ में एक भी सुनार की दुकान नहीं है, जबकि दो किलोमीटर पर स्थित पपरोला बाजार प्रदेश भर में सोने के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर पुजारी सुरिंद्र आचार्य का कहना है कि रावण शिव का परम भक्त था और भगवान शिव के सामने परम भक्त का पुतला जलाया जाना उन्हें पसंद नहीं है।

Ekta